देश के कुछ हिस्सों में मानसून की शुरुआत होने से किसानों ने खरीफ फसलों की बढ़ती लागत के लिए जमीन की तैयारी शुरू कर दिया है। इस बार, किसानों को धान, सोयाबीन, दालों, कपास, बाजरा, ज्वार, मूंगफली और मक्का के लिए 107 मिलियन हेक्टेयर खेती की उम्मीद है,जिससे इस साल बड़ी अनाज की फसल की उम्मीद बढ़ जाएगी। कंपनियों और विश्लेषकों का मानना है कि कपास की खेती सोयाबीन और दालो को पार कर सकती है क्योकि क़ीमतें स्थिर हैं। हालांकि,सरकार घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने और आयात पर देश की निर्भरता को कम करने के लिए दालों और तेल के बीज के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की घोषणा कर सकती है।
किसानो ने खेत पहले से ही तैयार करना शुरू कर दिया है और धान की नर्सरी भी जुटाना शुरु कर दिया है जहा से पोधे जून के दूसरे सप्ताह तक खेतो मे ट्रांसप्लांट किये जायेंगे। इंडियन काउंसिल ऑफ़ एग्रीकल्चरल रिसर्च के महानिदेशक, त्रिलोचन महापात्रा ने कहा की बागवानी फसलो के रोपण के अलावा खरीफ की फसल का रोपण 107-108 लाख हेक्टेयर मे होना चाहिए। उन्होंने ये भी कहा की देश के अधिकांश हिस्से मे होने वाले पूर्व मानसून के मौसम मे किसान जल्द ही धान की तैयारी शुरू कर देंगे। पिछले साल चावल की खेती38.89 मिलियन हेक्टेयर मे की गयी थी। 2016 मे सितम्बर 30 तक खरीफ फ़सलो के क्षेत्र मे कुल क्षेत्रफल107.11 मिलियन हेक्टेयर था जबकि एक साल पहले की तुलना मे यह क्षेत्रफल 103.52 मिलियन था।
रूचि सोया इंडस्ट्रीज के प्रबंध निदेशक दिनेश साहरा ने कहा कि सोयाबीन के बाद दूसरा सबसे ज्यादा खेती की जाने वाली फसल कपास और दालों (अरहर और मूंग) का क्षेत्र बढ़ सकता है। महाराष्ट्र, गुजरात और मध्य प्रदेश में रोपण जल्द ही शुरू हो जाएगा। हम यह सुनिश्चित करने के लिए काम कर रहे हैं कि अच्छा बीज किसानों तक पहुंचे। यह मौजूदा 0.8-1.6 टन प्रति हेक्टेयर से 30% से अधिक उपज बढ़ाएगा, जो किसान को मिलता है। मानसून की अच्छी बारिश के कारण दाल के बीज की कीमतें इस साल कम हैं,उपज उच्च होगा,जिससे यह एक लाभकारी फसल बन जाएगा। पिछले वर्ष14.62मिलियन हेक्टेयरक्षेत्रफलमें दाल लगाए गए थे।
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