अगस्त के अंत तक खरीफ रकबे में लगभग 1.21 फीसदी की कमी की पूरी तरह भरपाई हो गई है। इससे आने वाले दिनों में बुआई को कुल रकबे में वृद्धि की उम्मीद बढ़ गई है।
केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने एक हालिया रिपोर्ट में इस खरीफ सत्र में बुआई के रकबे में भारी तेजी का अनुमान जताया है। बुआई के कुल रकबे में वृद्धि की वजह से उर्वरक कंपनियां चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में मजबूत राजस्व दर्ज करने के लिए तैयार हैं।
बुआई में सुधार ने मजबूत उर्वरक खपत की भी संभावना बढ़ा दी है। दक्षिण-पश्चिम मॉनसून इस साल सामान्य बने रहने से कृषि में उत्पादकता बढ़ाने के लिए उर्वरकों का इस्तेमाल बढ़ेगा। सितंबर और अक्टूबर महीनों से पूरे वित्त वर्ष की तस्वीर आधारित है और इसलिए यह समय उर्वरक कंपनियों के लिए महत्वपूर्ण है
मॉनसून लगभग सामान्य है और प्रमुख फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में अच्छी वृद्धि दर्ज की गई है। वित्त वर्ष 2019 के दौरान कुल उर्वरक उत्पादन 4.22-4.25 करोड़ टन रहेगा जो पूर्ववर्ती वर्ष में 4.13 करोड़ टन था। सामान्य मॉनसूनी बारिश से मिट्टी में नमी की मात्रा रबी फसलों के लिए अनुकूल बनी हुई है। इसलिए इस साल कुल उर्वरक खपत बढ़ेगी।' वित्त वर्ष 2017-18 के दौरान अपने वित्तीय प्रदर्शन में तेजी के बाद उर्वरक कंपनियों ने जून 2018 में समाप्त तिमाही में भी अपने राजस्व और मुनाफे में भारी वृद्धि दर्ज की है। केयर रेटिंग्स के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा, 'वित्त वर्ष 2019 की मौजूदा तिमाही की शुरुआत सकारात्मक बदलाव के साथ हुई है
इस बीच, सरकार ने अपनी लोकप्रिय योजना प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) को राष्ट्रव्यापी तौर पर पेश किया है। उर्वरक कंपनियों ने डीबीटी व्यवस्था के तहत अपनी बिक्री को अनुकूल बनाया है। सब्सिडी भुगतान शुरू हुआ है, और सरकार को दो या तीन सप्ताह के अंदर दावों का निपटान करने की जरूरत है जिससे उर्वरक कंपनियों को बड़ी राहत मिलेगी। हालांकि बढ़ी कच्चे माल की लागत से उर्वरक कंपनियों के लिए एक बड़ी चुनौती पैदा हो गई है। कच्चे तेल की कीमतों में भारी तेजी से प्राकृतिक गैस की कीमतों में भी तेजी को बढ़ावा मिला है। विश्लेषकों को गैस कीमतों में वृद्धि की वजह से उर्वरक के कच्चे माल की लागत में 5 फीसदी की वृद्धि का अनुमान है।
सबनवीस ने कहा, 'इससे सब्सिडी वितरण को लेकर सरकार के राजकोषीय खर्च पर दबाव बढ़ सकता है। वित्त वर्ष 2019 के लिए उर्वरक सब्सिडी 700.9 अरब रुपये पर तय की गई है जिसमें से 449.89 अरब रुपये यूरिया सब्सिडी के लिए और शेष 251 अरब रुपये पोषण-आधारित सब्सिडी के लिए निर्धारित किए गए हैं। एमके ग्लोबल फाइनैंशियल सर्विसेज में विश्लेषक प्रतीक ठोलिया ने जीएसएफसी पर अपनी एक रिपोर्ट में कहा, 'मॉनसून का लगभग सभी प्रमुख बाजारों में समान रूप से असर रहा है। सकारात्मक बाजार धारणा से इस वित्त वर्ष में अब तक अच्छा उठाव सुनिश्चित हुआ है।'
चंद्र मोहन
कृषि जागरण
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