हरियाणा राज्य के करनाल जिले के पास स्थित अमृतपुरा कलां गांव में श्वेत क्रांति लाने के लिए 5 बहादुर महिलाओं ने अहम भूमिका निभाई है। उन्होंने सामाजिक वर्जनाओं को तोड़ते हुए अनमोल महिला दुग्ध समीति नामक एक सहकारी दूध डेयरी फार्मिंग उद्यम शुरू किया है जिसकी कमान सिर्फ महिलाओं के हाथों में ही रहेगी। डेयरी की कमान थामने के साथ लैक्टोमीटर हाथ में लिए हुए वे दूध को बेचने से पहले उसकी गुणवत्ता की जांच भी स्वयं ही करती हैं। यह संभव हो सका है मधुबन की अर्पणा ट्रस्ट के सहयोग से जिन्होंने पांच महिलाओं का स्वयं सहायता समूह बनाया और उन्हें डेयरी जैसे उद्यम में पैर जमाने व सफल होने का मौका दिया।
अमृतपुरा कलां एक ऐसा गांव है जहां महिलाएं सिर पर लंबा घूंघट लिए हुए अपने चेहरे को ढांक कर रखती हैं। यही नहीं गांव की महिलाओं को घर के बाहर भी निकलने व अन्य पुरूषों से बात करने की आजादी भी नहीं है। ऐसे में इन पांचों महिलाओं ने सामाजिक वर्जनाओं को तोड़ते हुए सहकारी समिति बनाकर कीर्तिमान स्थापित किया है और अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणास्रोत के रूप में उभरी हैं।
इन सभी महिलाओं की उम्र लगभग 30-45 वर्ष है। इन निडर व उद्यमी महिलाओं के नाम हैं सविता, कमलेश, सीमा, मम्तेश व मूर्तिदेवी। राष्ट्रीय दुग्ध अनसंधान संस्थान के निदेशक एके. श्रीवास्तव व अन्य वैज्ञानिकों ने इन पांचों महिलाओं को दूध लाने से लेकर उसके प्रसंस्करण व बिक्री तक की ट्रेनिंग दी है। वहीं अर्पणा ट्रस्ट की ट्रस्टी अरूणा दयाल ने काउंसिलिंग के साथ इन महिलाओं के उद्यम में आर्थिक सहयोग दिया। अर्पणा ट्रस्ट द्वारा इन महिलाओं को 50 हजार लोन के अलावा प्रत्येक महिला को 5 हजार रूपए भी दिए गए जिससे वे डेयरी संबंधित सभी उपकरण खरीद सकें। वर्तमान में यह पांचों महिलाओं का समूह शादियों, पार्टियों में दूध व दूध से बने अन्य उत्पादों को उपलब्ध करवाने का आॅर्डर लेती हैं व पास के गांवों में भी अपनी सेवाएं देती हैं। ये पांचों महिलाएं गांव की सभी महिलाओं के लिए किसी प्रेरणास्रोत से कम नहीं हैं।
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