केंद्र में बैठी मोदी सरकार किसानों के लिए यूनिक फार्मर आईडी यानी पहचान पत्र बनाने की तैयारी में है. केंद्रीय कृषि मंत्रालय के अधिकारियों ने जानकारी दी है कि पीएम-किसान सम्मान निधि स्कीम के साथ-साथ अन्य योजनाओं का भी डेटाबेस इस पहचान पत्र से जोड़ने की योजना है. इसमें डेटा जोड़ने की जिम्मेदारी राज्य सरकारों की होगी. अब किसानों को विभिन्न योजनाओं का लाभ विशिष्ट किसान पहचान पत्र के आधार पर मिलेगा. इस बात की जानकारी एक निजी समाचार चैनल के साक्षात्कार कार्यक्रम के दौरान केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने दी.
केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने बताया कि अभी इस विषय पर चर्चा हुई है. इसका काम आगे नहीं बढ़ा है. क्योंकि सरकार का इस समय मुख्य उद्देश्य कोरोना वायरस (Covid-19) को हराना है. लेकिन किसान पहचान पत्र बनने के बाद किसानों तक खेती से जुड़ी योजनाओं को पहुंचाना आसान हो जाएगा. उन्होंने आगे बताया कि केंद्र सरकार राज्यों के परामर्श से एक संयुक्त किसान डेटाबेस बनाने की प्रक्रिया में है. इस प्रक्रिया के पहले चरण में पीएम-किसान योजना में रजिस्टर्ड लगभग 10 करोड़ किसानों को कवर किया जाएगा.
कौन है किसान?
मौजूदा स्थिति की बात करें तो देश में 14.50 करोड़ किसान परिवार हैं. जिनमें से 12 करोड़ लघु एवं सीमांत किसान की श्रेणी (जिनके पास 2 हेक्टेयर से कम खेती हो ) में आते हैं. राष्ट्रीय किसान नीति-2007 के मापदंडों के अनुसार किसान उसे कहा जाएगा जो फसलों के बेचने पर जो अर्थ (धन) मिलता है उससे अपनी आजीविका चलता हो. या यूं कहें कि जो व्यक्ति प्राथमिक कृषि उत्पादों से ही अपने जीवन का निर्वाह करता हो उसे किसान माना जाएगा. इस श्रेणी में काश्तकार, कृषि श्रमिक, बटाईदार, पट्टेदार, मुर्गीपालक, पशुपालक, मछुआरे, मधुमक्खी पालक, माली, चरवाहे आदि शामिल हैं . रेशम के कीड़ों का पालन करने वाले, वर्मीकल्चर तथा कृषि-वानिकी जैसे विभिन्न कृषि-संबंधी व्यवसायों से जुड़े व्यक्ति भी किसान हैं.
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