अब प्राकृतिक खेती की मदद के जरिए हिमाचल प्रदेश के शिमला स्थित राष्ट्रपति निवास रिट्रीट के बगीचों में सेब की बागवानी की जाएगी. दरअसल काफी लंबे समय से देखरेख के अभाव में और बदलते वक्त में मौसम की मार के चलते यहां के रिट्रीट में लगे सैकड़ों सेब के पेड़ सूख गए थे. लेकिन अब काफी कम लागत में कृषि बागवानी के प्राकृतिक खेती के तरीके को अपनाकर उन सूखे पेड़ों को हरा-भरा करने का कार्य किया जाएगा. बता दें कि राष्ट्रपति सचिवालय के निर्देश पर प्रदेश के प्राकृतिक खेती के सेल ने इस बात के लिए कवायद शुरू कर दी है.
प्राकृतिक खेती को बढ़ाने पर जोर
प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने में अग्राणी हिमाचल प्रदेश के काम को देखते हुए राष्ट्रपति कार्यालय ने शिमला के नजदीक स्थित रिट्रीट में भी प्राकृतिक खेती को कराने के लिए प्रदेश से संपर्क साधा है. राष्ट्रपति के सचिव ने यहां आकर स्थिति का जायजा लिया. इस पर गहन चर्चा की गई और बाद में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के निर्देश पर राष्ट्रपति कार्यालय ने हिमाचल को प्राकृतिक खेती के जरिए रिट्रीट में भी बागवानी हेतु खत लिखा था जिसके लिए उन्होने पत्र लिखा है.
पहले 80 चरणों में काम होगा
शून्य लागत प्राकृतिक खेती प्रोजेक्ट के कार्यकारी अधिकारी चंदेल ने बताया कि पहले चरण में 80 पौधों को ले लिया गया है. इन सभी को प्राकृतिक पद्धति से जीवित करके फिर से फलदार और हरा भरा बनाया जाएगा. कुछ पौधे केमिकल की वजह से तो कुछ बंदरों की वजह से पेड़ों को नुकसान पहुंचा था. खेती को शुरू करने से पहले सोलर फेसिंग से पूरे एरिया को कवर किया जाएगा. बाद में खेती शुरू होगी.
हिमाचल में प्राकृतिक खेती की शुरूआत
प्राकृतिक खेती को सरकारी तौर पर अपनाने वाला हिमाचल पहला राज्य है. हिमाचल में सरकार ने इस पद्धति को बढ़ावा देने के लिए बजट में भी 25 करोड़ का प्रवाधान किया गया है. इसके साकारात्मक परिणाम के बाद केंद्र की मोदी सरकार ने इस साल के बजट में इसे शामिल किया है.
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