अक्सर भारत में गायों के बांझ होने के बाद उन्हें छोड़ दिया जाता है तो वहीं शांहजहांपुर के एक किसान ने एक नई तकनीक के जरिए बांझ गायों से भी दूध निकालने का असंभव प्रयास सफल करके दिखा दिया है। शाहजहांपुर से महज कुछ ही दूरी पर स्थित है भावलखेड़ा गांव। यहां रहने वाले एक किसान योगेश ने अपनी छोटी गोशाला बनाई हुई है।
योगेश का कहना है कि वे बीते दस सालों से इस काम को करने में लगे हुए हैं। योगेश का ये कहना है कि शहरी हो या गांव जहां-जहां भी लोग गाय को पालते हैं वहां गाय के बांझ होने के बाद उन्हें खुला छोड़ दिया जाता है। गायों की इस स्थिती से काफी दुख होता था तब मैने अपना काम शुरू किया। और अब तक तीस से अधिक गाय दूध देने लगी हैं।
डेयरी फार्मिंग एक बढ़ता हुआ उद्दोग है जो डेयरी उत्पादकों को अच्छा मुनाफा देता है। लेकिन पशुओं के बांझपन आने की समस्या से डेयरी फार्मिंग को भी काफी नुकसान होत है। आपको बता दें इस समस्या से निपटने के लिए भारत सरकार ने तेरह जिलों में गाय व भैंस अनुर्वता एंव बांझपन निवारण की व्यापक योजना चलाई हुई है। अब इस बात को भी समझना जरूरी है कि बांझपन के कारण क्या हैं।
दुधारू पशुओं में बांझपन होने की सबसे बड़ा कारण यह है कि पशुओं को उचित मात्रा में पोषक तत्व नहीं मिल पाते हैं। और इस बात पर पशुपालक भी ध्यान नहीं देते। पशुओं को कॉपर, जिंक और कॉमनसोल्ट की जरूरत अधिक रहती है।
अब बताते हैं कैसे योगेश इस दिशा में काम करते हैं
योगेश के अनुसार वे बच्चा ना देने वाली गायों व भैसों को नई तकनीक जिसे इंड्यूज लेक्टेशन कहते
हैं उसकी खुराक दी जाती है। यह प्रक्रिया कुछ दिनों तक चलती है साथ ही पशुओं को स्टेरायड व हार्मोन का इंजेक्शन लगाया जाता है। इसके बाद वे थोड़े ही दिनों में वापस दूध देने लगती है। योगेश कहते हैं वे इसका पूरा खर्च खुद उठाते हैं और फिर पशुपालकों को उनकी गाय व भैंस वापस कर दी जाती है। कृषी तकनीक में एक नया कदम बहुत ही उल्लेखनिय है। इससे किसानों को व पशुपालकों को अधिक से अधिक फायदा हो सकेगा।
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