आने वाले समय में पराली की समस्या को रोकने के लिए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने कड़ा रुख़ अपनाना शुरु कर दिया है. एनजीटी ने मंगलवार को केंद्र से सवाल पूछते हुए यह बताने को कहा है कि प्रदूषण कम करने के लिए पराल (फसल अवशेष) जलाने से रोकने के लिए किसानों को संसाधनों के तौर पर क्या सहायता मुहैया कराई जा रही है. इस जवाब के लिए ट्रिब्यूनल ने केंद्रीय कृषि मंत्रालय को 6 सप्ताह का वक्त दिया है. इस विषय पर ट्रिब्यूनल अध्यक्ष जस्टिस आदर्श कुमार गोयल व अन्य की पीठ ने इस मसले पर पिछले आदेशों का पालन करने के लिए अधिकारियों को संबंधित प्राधिकारों से फिडबैक लेने के लिए कहा है.
पीठ ने अपने निर्देश में पहले कहा था कि गरीब व मध्यम किसानों को परली जलाने से रोकने के लिए उपयुक्त मशीनरी मुहैया कराने का निर्देश दिया था. पीठ ने उद्दोगों को इस विषय पर आगे बढ़कर सहायता करने के भी निर्देश दिए हैं, उनका कहना है कि पराली जलाने से प्रदूषण बढ़ता है जो की काफी हानिकारक है. अगर नीति आयोग की रिपोर्ट के बारे में बात करें तो किसानों को पराली जलाने से रोकने के लिए शिक्षित करने पर करोड़ो रुपए खर्च होंगे. पंजाब, राजस्थान, हरियाणा और यूपी में पराली जलाने से हर साल दिल्ली में प्रदूषण काफी बढ़ जाता है.
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