इस भाग दौड़ भरी जिंदगी में हर कोई आराम से पैसा कमाना चाहता है. इसलिए लोग इन दिनों बिजनेस की ओर ज्यादा रुख करने लगे हैं. क्योंकि उन्हें ना ही इसमें 9 बजे सुबह से रात के 9 बजे तक नौकरी करने का डर रहता है, बल्कि उन्हें बिजनेस से अच्छा पैसा कमाने की उम्मीद भी होती है और भला इस बात को कौन नकार सकता है कि अगर बिजनेस सही हो व उसे सही तरीके से किया जायें तो इसमें मुनाफा भी नौकरी से बेहतर है.
खोले राइपनिंग चैबर और पाएं मोटा मुनाफा
यहां हम आपके साथ एक ऐसा ही बिजनेस का आइडिया साझा करने जा रहे हैं जिसमें मुनाफा भी ज्यादा है और खर्च भी बेहद कम. खर्च बेहद कम इसलिए क्योंकि इसके लिए बिहार सरकार आपको बिजनेस करने के लिए आधे पैसे दे रही है. दरअसल, बिहार सरकार एकीकृत बागवानी विकास मिशन योजना के तहत राइपनिंग चैंबर खोलने के लिए किसानों को बंपर सब्सिडी दे रही है. इसकी जानकारी खुद बिहार सरकार के कृषि विभाग ने अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट से दी है.
एकीकृत बागवानी विकास मिशन योजना के अंतर्गत राइपनिंग चैंबर स्थापित करने के लिए किसानों को इकाई लागत पर व्यक्तिगत कृषक / उद्यमी के लिए अधिकतम 50% एवं FPO/FPC के लिए अधिकतम 75% का सहायतानुदान दे रही है सरकार। @Agribih@AgriGoI@KrSarvjeetRJD@saravanakr_n#RipeningChamber #Bihar pic.twitter.com/ZLFutbVYBR
— Directorate Of Horticulture, Deptt of Agri, Bihar (@HorticultureBih) April 18, 2023
बिहार कृषि विभाग ने ट्वीट कर दी जानकारी
बिहार सरकार के कृषि विभाग ने ट्वीट करते हुए लिखा है कि “एकीकृत बागवानी विकास मिशन योजना के अंतर्गत राइपनिंग चैंबर स्थापित करने के लिए किसानों को इकाई लागत पर व्यक्तिगत कृषक/उद्यमी के लिए अधिकतम 50% एवं FPO/FPC के लिए अधिकतम 75% का सहायतानुदान दे रही है.”
किसानों को मिलेगा 50 हजार रुपये
बिहार सरकार के बागवानी निदेशालय के मुताबिक, एक मीट्रिक टन की क्षमता वाले राइपनिंग चैंबर यूनिट लगाने की कीमत 1,00,000 रुपये है. इसमें से सरकार व्यक्तिगत किसान/ उद्यमी के लिए 50 प्रतिशत सब्सिडी यानी की प्रति इकाई 50,000 रुपये सब्सिडी देगी. इसका मतलब ये है कि मात्र 50,000 रुपये खर्च कर बिहार के किसान भाई राइपनिंग चैंबर यूनिट लगा कर बिजनेस शुरू कर सकते हैं. वहीं FPO/FPC को राइपनिंग चैंबर खोलने के लिए 75% सब्सिडी यानी की प्रति इकाई 75,000 रुपये की सब्सिडी दी जायेगी. यहां ध्यान देने योग्य बात ये है कि प्रति लाभार्थी अधिकतम 300 मीट्रिक टन तक ही राइपनिंग चैंबर स्थापित कर सकते हैं.
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राइपनिंग चैंबर क्या है?
राइपनिंग चैंबर का इस्तेमाल कुछ फलों को पकाने के लिए किया जाता है. दरअसल, कुछ फलों को पकाने की प्रक्रिया को पूरा करने के लिए राइपनिंग चैंबर का इस्तेमाल किया जाता है. इस चेंबर में सिर्फ 24 से 48 घंटे में फल पककर तैयार हो जाता है. इसके लिए एथिलीन गैस का उपयोग किया जाता है, जिसे सेहत के लिए भी हानिकारक नहीं माना जाता है.
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