चंडीगढ़। सीआईआई द्वारा उत्तरी क्षेत्र मुख्यालय में आयोजित दो दिवसीय स्कूल समिट के दौरान पंजाब के गवर्नर और चंडीगढ़ के प्रशासक वीपी सिंह बदनौर ने कहा कि जहां शहरी क्षेत्र में शिक्षा की गुणवत्ता में कुछ सुधार जरूरी है वहीं ग्रामीण भारत को शिक्षित करने पर ध्यान केंद्रित करना बहुत जरूरी है... उन्होंने कहा कि आज हमारे देश के सामने सबसे बड़ी चुनौती ग्रामीण भारत और शहरी शिक्षा के फर्क को दूर करना है... ग्रामीण भारत में महान प्रतिभाएं मौजूद हैं और ऐसे में यहां पर शिक्षकों की भूमिका बेहद अहम हो जाती है कि वे इन प्रतिभाओं को सही शिक्षा और मौके प्रदान करें ताकि वे तेजी से आगे बढ़ सकें... उन्होंने कहा कि आज के समय के अनुरूप शिक्षा प्रदान करने की नई पद्घतियों को अपनाना जरूरी हो गया है और लोगों को प्रोत्साहित करने की जरूरत है कि वे कुछ हटकर काम करें... उन्होंने चीन का उदाहरण पेश करते हुए कहा कि वहां पर कई भाषाएं हैं लेकिन शिक्षण के लिए एक भाषा का चयन किया गया है... उन्होंने कहा कि हमारे देश में शिक्षण के लिए दो भाषाओं का चलन ही सबसे बड़ी समस्या है... उन्होंने सलाह देते हुए कहा कि ग्रामीण क्षेत्र के छात्रों को शहरी क्षेत्र के छात्रों से प्रतिस्पर्धा करने के लिए तैयार करने की जरूरत है... उन्होंने भ्रष्टाचार मुक्त भारत पर अपने विषय को केंद्रित करते हुए कहा कि इसके लिए छात्रों को नैतिक शिक्षा का पाठ पढ़ाया जाना बहुत जरूरी ह... सीआईआई नीति निर्धारण के लिए अपने सुझाव सौंपता है ऐसे में सीआईआई को चाहिए कि विश्व भर में शिक्षा के अधिकार को लेकर जो चलन हैं उनका अध्ययन करते हुए भारत में शिक्षा के अधिकार को लेकर सकारात्मक व नकारात्मक बिंदुओं को लेकर अपने सुझाव सौंपे... किसी भी क्षेत्र में गुणवत्ता को उस क्षेत्र के उत्पाद, प्रक्रियाओं और सेवाओं में उत्कृष्टता की डिग्री के रूप में परिभाषित किया जाता है... आज के टेक्रो-सोशल व डायनामिक नॉलेज सोसायटी और ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था के विश्व में गुणवत्ता महत्वपूर्ण अवधारणा है और भविष्य में सभी क्षेत्रों में सामान्य रूप से इसकी भूमिका बढ़ेगा और खास तौर पर शिक्षा के क्षेत्र में...
हरियाणा के शिक्षा मंत्री राम बिलास शर्मा ने इस अवसर पर कहा कि शिक्षा का आरंभ घर से होता है और अभिभावक हर व्यक्ति के जीवन के सच्चे शिक्षक होते हैं... उद्योगों को शिक्षा प्रणाली की ओर खास तौर पर ध्यान देने की जरूरत है जिससे उद्योगों और एकेडमिक्स के बीच के बीच असमानता को दूर किया जा सके... शिक्षा हर व्यक्ति के जीवन में बेहद अहम भूमिका निभाती है और यह उसके व्यक्तित्व के विकास में भी बेहद मददगार साबित होती है...
सम्मेलन के उद्देश्य को स्पष्ट करते हुए सीआईआई स्कूल समिट 2018 के चेयरमैन तथा आस्ट्रेलियन काउंसिल फॉर एजुकेशन रिसर्च के सीईओ अमित कौशिक ने कहा कि शैक्षिक रूपरेखा को खुद को अधिक व्यावहारिक और परिणाम उन्मुख दृष्टिकोण के साथ पुन: व्यवस्थित करने की आवश्यकता है... जिस प्रकार से विश्व में परिवर्तन हो रहे हैं उनके अनुरूप निरंतर सिलेबस को बदला जाना चाहिए... यह हमारे आकलन प्रणालियों को पुनर्जीवित करने की मांग करता है जो न केवल भंडारण और पुनप्र्राप्ति के कौशल का मूल्यांकन करते हैं, बल्कि महत्वपूर्ण सोच और तर्कसंगत पूछताछ के औजारों का उपयोग करने की क्षमता भी...
सीआईआई की शिक्षा विषय पर क्षेत्रीय समिति के चेयरमैन तथा एसआरएफ लिमिटेड के उप प्रबंध निदेशक कार्तिक भारत राम ने कहा कि मौजूदा रेगुलेटिड सिस्टम को इस प्रकार बदलने की जरूरत है जो एक सक्षम और सुविधाजनक नीति ढांचा प्रदान करे... जो अच्छा प्रदर्शन करने वालों को प्रोत्साहित करने वाला हो और बुरा या कम प्रदर्शन करने वालों के सामने चुनौती खड़ी करने वाला... तकनीकी संचालित उपकरणों के माध्यम से वितरित व्यावहारिक शिक्षा को बढ़ावा देना चाहिए जो प्रासंगिक कार्यों और वितरण की कम लागत पर अधिक ध्यान केंद्रित करे...
एक्सट्रा माक्र्स फाउंडेशन की सीईओ तथा एक्सट्रा माक्र्स एजुकेशन इंडिया प्राईवेट लिमिटेड की निदेशक पूनम सिंह जम्वाल ने कहा कि विश्व भर में शिक्षण और अध्ययन के दौरान तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है... ऐसे में शिक्षण पद्घति में तकनीक का इस्तेमाल गेम चेंजर की भूमिका निभाने वाला है क्योंकि इससे ज्ञान को प्रसारित करते और और व्यवहारिक व प्रभावी बनाया जा सकता है... डिजिटल एजुकेशन सिस्टम की ओर बढ़ते हुए शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने तथा इसे बजट में रखने के देश के विजन की तरफ बढ़ा जा सकता है... इससे छात्रों को देश भर के अन्य भागों में मौजूद अन्य छात्रों से प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार किया जा सकेगा...
Share your comments