भारत विश्व का एक ऐसा देश है जिसने कृषि के क्षेत्र में अपनी एक अलग पहचान रखता है. देश की कृषि के एक बड़े हिस्से की सिंचाई मानसून पर निर्भर करती है. मानसून तो अपनी दस्तक दे चुका है परन्तु इस सीजन में मानसून के कम रहने की उम्मीद जताई जा रही है. भारत की सालाना बारिश का लगभग 70 प्रतिशत भाग मानसून पर निर्भर करता है. मौसम की जानकारी देने वाली निजी एजेंसी स्काईमेट वेदर के अनुसार इस बार जून से सितम्बर तक मानसून सामान्य से कम रह सकता है. इस बार यह 92 प्रतिशत रह सकता है, जो कि 100 प्रतिशत के पिछले पूर्वानुमान से कम है. भारत के मौसम विभाग ने इस चार महीने के पूरे सीजन में 96 प्रतिशत और 50 वर्षों की औसत 89 सेंटीमीटर बारिश के बीच औसत या सामान्य बारिश बताया है. ज्ञात रहे देश के अधिकतर किसान मानसूनी बारिश पर निर्भर करते हैं. बारिश में कमी के कारण किसानों की आय पर भी फर्क पड़ सकता है. स्काईमेट वेदर का कहना है कि अगस्त में दक्षिण-पश्चिम मानसून कमजोर पड सकता है.
मानसून के सामान्य से कम रहने की उम्मीद
भारत विश्व का एक ऐसा देश है जिसने कृषि के क्षेत्र में अपनी एक अलग पहचान रखता है. देश की कृषि के एक बड़े हिस्से की सिंचाई मानसून पर निर्भर करती है. मानसून तो अपनी दस्तक दे चुका है परन्तु इस सीजन में मानसून के कम रहने की उम्मीद जताई जा रही है. भारत की सालाना बारिश का लगभग 70 प्रतिशत भाग मानसून पर निर्भर करता है. मौसम की जानकारी देने वाली निजी एजेंसी स्काईमेट वेदर के अनुसार इस बार जून से सितम्बर तक मानसून सामान्य से कम रह सकता है. इस बार यह 92 प्रतिशत रह सकता है, जो कि 100 प्रतिशत के पिछले पूर्वानुमान से कम है. भारत के मौसम विभाग ने इस चार महीने के पूरे सीजन में 96 प्रतिशत और 50 वर्षों की औसत 89 सेंटीमीटर बारिश के बीच औसत या सामान्य बारिश बताया है. ज्ञात रहे देश के अधिकतर किसान मानसूनी बारिश पर निर्भर करते हैं. बारिश में कमी के कारण किसानों की आय पर भी फर्क पड़ सकता है. स्काईमेट वेदर का कहना है कि अगस्त में दक्षिण-पश्चिम मानसून कमजोर पड सकता है.
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