बेशक, मोदी सरकार अपने आपको किसानों की आय को आगामी 2022 तक दोगुनी करने की दिशा में प्रतिबद्ध बता रही हो, मगर जमीनी हकीकत इन प्रतिबद्धताओं से अलहदा नजर आती है. देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस ने मोदी सरकार के खिलाफ मोर्चा तक खोल दिया है. दरअसल, केंद्र सरकार ने कृषि में इस्तेमाल होने वाले खाद की कीमतों में इजाफा किया है, जिसे लेकर कांग्रेस ने अब बीजेपी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. कांग्रेस के सभी नेता एकजुट होकर सरकार से इन कीमतों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं.
इतना ही नहीं, खाद की बढ़ती कीमतों को मद्देनजर रखते हुए कांग्रेस के प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने तो यहां तक कह दिया है कि ‘केंद्र सरकार देश के 62 करोड़ किसानों व मजदूरों को गुलाम बनाने की साजिश रच रही है, मगर सरकार एक बात कान खोलकर सुन ले कि हम ऐसा होने नहीं देंगे. केंद्र सरकार की यह साजिश कभी कामयाब नहीं होगी. इससे पहले ही सरकार ने कृषि क्षेत्र में इस्तेमाल होने वाले सभी उपकरण की कीमतों में इजाफा कर किसानों के ऊपर 1600 करोड़ रूपए का आर्थिक बोझ डाल रखा है. ऐसा करके केंद्र सरकार किसान भाइयों को गुलाम बनाने की कोशिश कर रही है’.
BJP के DNA में है किसान विरोधी
मीडिया से मुखातिब होने के क्रम में कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने तो यहां तक कह दिया है कि बीजेपी के डीएनए में ही किसान विरोधी है. यह किसान का उत्थान कभी नहीं चाहेगी. यह हमेशा ही किसानों को बदहाल करने की कोशिश में लगी रहती हैं. सरकार अब महामारी का बहाना बनाकर खाद कीमतों में इजाफा कर रही है.
कितनी बढ़ी खाद की कीमत
यहां हम आपको बताते चले कि सरकार ने डाई अमोनिया फास्फेट (डीएपी) की 50 किलोग्राम की बोरी पर 700 रूपए का इजाफा कर किसानों के कंधे पर आर्थिक बोझ डालने का काम किया है. इससे किसानों पर तकरीबन 1200 करोड़ रूपए का आर्थिक बोझ पड़ेगा.
पवार ने की सरकार से यह मांग
इसके साथ ही पूर्व केंद्रीय कृषि एवं एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने उवर्रक रसायन मंत्री सदानंद गौड़ा को पत्र लिखकर मांग की है कि इस फैसले को वापस लिया जाए, चूंकि इससे किसानों पर आर्थिक बोझ पड़ेगा. इससे पहले ही लॉकडाउन के दौरान किसान बदहाल हो चुके हैं. देशभर की मंडियों बंद है. बाजार प्रणाली पूरी तरह से ध्वस्त हो चुकी है.
बुरी तरह प्रभावित हैं किसान
आपको तो पता ही होगा कि कोरोना की पहली लहर के दौरान किसान भाइयों ने जैसे-तैसे अपने आपको संभाल लिया था, मगर दूसरी लहर के दौरान किसान भाई बुरी तरह प्रभावित हो चुके हैं. आप किसानों की बदहाली का अंदाजा आप महज इसी से लगा सकते हैं कि अब अन्नदाता औने-पौने दाम पर अपनी फसलों को बेचने पर मबजूर हो चुके हैं. उनकी फसलों को वाजिब दाम तक नहीं मिल पा रहा है. ऐसे में किसानों की बदहाली अपने चरम पर पहुंच चुकी है. ऐसी स्थिति में सरकार का यह फैसला किसानों की बदहाली को और गहरा सकता है. खैर, कांग्रेस के विरोध के परिणामस्वरूप बीजेपी की क्या कुछ प्रतिक्रिया सामने आती है. यह तो फिलहाल अब आने वाला वक्त ही बताएगा.
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