हिंदुस्तान की सियासत में शुरू से ही अन्नदाताओं का अहम किरदार रहा है. सियासी अतीत इस बात की बखूबी तस्दीक करती है कि जब-जब देश के अन्नदाता किसी-भी सियासी नुमाइंदे से खफा हुए हैं, तो फिर वो शख्स भले ही कितना भी बड़ा सियासी सूरमा क्यों न हो, लेकिन उसे अन्नदाताओं की बेरुखी की भारी कीमत चुकानी ही पड़ी है, इसलिए कोई भी सियासी सूरमा अपने सियासी हित के मद्देनजर किसानों की बेरुखी को अपनी झोली में रखने की हिमाकत नहीं करना चाहता है, लिहाजा सरकार की हर वो कोशिश जारी रहती है, जिससे देश के किसान खुश रहे, संतुष्ट रहे व मंत्रमुग्ध रहे, लेकिन किसान के मौजूदा रूख को देखकर ऐसा लगता है कि मोदी सरकार इस दिशा से भटक गई, मगर किसानों की बेरुखी के बावजूद भी सरकार किसानों की आय को आगामी 2022 तक दोगुना करने की दिशा में प्रतिबद्ध है. अब तो सरकार ने इसके लिए पूरा प्लान भी तैयार कर लिया है. आइए तफसील से डालते हैं, सरकार के इस प्लान पर एक नजर…
बाजारों का सुधार : किसानों को आत्मनिर्भर व समृद्ध बनाने की दिशा में बाजारों का सुधार अति आवश्यक है. जब तक बाजारों का सुधार नहीं होगा तब तक किसानों का सुधार नहीं होगा. वजह साफ है कि आखिरकार किसान फसलों का उत्पादन कर उसे बाजारों में ही बेचते हैं, ऐसी स्थिति में बाजारों की विसंगतियां किसानों की बदहाली का कारण न बने इसके लिए बाजारों का सुधार अति आवश्यक है. इस दिशा में सरकार ने बाजारों के सुधार करने की दिशा में एग्रीकल्चर प्रोड्यूस एंड लाइवस्टॉक मार्केटिंग एक्ट 2017 को लागू किया है. इस एक्ट को सरकार ने वर्ष 2017 में लागू किया है. इस एक्ट के आने से पूर्व महज सरकारी मंडियां ही वजूद में थी, जिसके चलते उनके पास अपने उत्पाद को बेचने के लिए महज सरकारी मंडियां ही विकल्प थी, लेकिन इस एक्ट के लागू होने के बाद निजी कंपनियां भी वजूद में आई और किसान के पास बेशुमार विकल्प आए, जहां वे अपनी फसलों को बेच सकते हैं. मौजूदा समय में किसानों के पास 6700 मंडिया हैं, लेकिन सरकार का लक्ष्य अब इसे 30 हजार तक पहुंचाना है. इस दिशा में सरकार अनवरत प्रयासरत है.
कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग: किसानों की दशा सुधारने के लिए सरकार के पास कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग एक उम्दा विकल्प के रूप में उभरकर सामने आया है. सरकार के मुताबिक, यह किसानों की आय बढ़ाने की दिशा में बेहद कारगर साबित हो सकती है. कॉन्ट्रैक्ट फॉर्मिंग के तहत निजी कंपनियां किसानों से कुछ फसलों को उगाने के लिए अनुबंध करती है तथा मूल्य भी उसी दौरान तय हो जाता है. इस बीच अगर बाजार में उस फसल के मूल्य में किसी प्रकार का उतार-चढ़ाव आता है, तो उसका अनुबंध पर कोई असर नहीं पड़ेगा. फसल की खरीद फरोख्त उसी कीमत पर की जाएगी, जिस पर अनुबंध हुआ होगा. बहरहाल, इस बीच कुछ किसान सरकार के इस कानून का विरोध करते हुए नजर आ रहे हैं.
मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना: सरकार के मुताबिक, मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना किसानों की आय बढ़ाने की दिशा में बेहद कारगर साबित हुई है. मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना के आने से पूर्व जहां उत्पादकता में कमी आती थी तो वहीं उत्पादन लागत भी काफी ज्यादा थी. मृदा स्वास्थ्य कार्ड के आने के बाद मिट्टी में कितनी मात्रा में कीटनाशक व खाद्द की मात्रा पड़ेगी, उसका पता मिट्टी की जांच करने के बाद लग जाता है, लेकिन मृदा स्वास्थ्य कार्ड आने पहले ऐसा नहीं था. हमारे किसान भाई महज अपने पूर्वानुमान के आधार पर खाद्द का इस्तेमाल किया करते थे, जिसके चलते उन्हें कहीं न कहीं नुकसान का सामना करना पड़ सकता था.
मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना: सरकार के मुताबिक, मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना किसानों की आय बढ़ाने की दिशा में बेहद कारगर साबित हुई है. मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना के आने से पूर्व जहां उत्पादकता में कमी आती थी तो वहीं उत्पादन लागत भी काफी ज्यादा थी. मृदा स्वास्थ्य कार्ड के आने के बाद मिट्टी में कितनी मात्रा में कीटनाशक व खाद्द की मात्रा पड़ेगी, उसका पता मिट्टी की जांच करने के बाद लग जाता है, लेकिन मृदा स्वास्थ्य कार्ड आने पहले ऐसा नहीं था. हमारे किसान भाई महज अपने पूर्वानुमान के आधार पर खाद्द का इस्तेमाल किया करते थे, जिसके चलते उन्हें कहीं न कहीं नुकसान का सामना करना पड़ सकता था.
आर्थिक समृद्धि : आर्थिक तौर पर कमजोर किसानों की समृद्धि के लिए वर्तमान में सरकार की कई योजनाएं लाई है, जो काफी सार्थक साबित होती हुई नजर आ रही है. आमतौर पर किसानों को धन प्राप्ति के लिए साहूकारों पर निर्भर रहना पड़ता था. वहां से उन्हें उच्च ब्याज दर पर धन प्राप्त होता था, लेकिन अब सरकार ने किसानों की इन्हीं समस्याओं को मद्देनजर रखते हुए उनके लिए बैंक से लोन प्राप्त करने के राह को सरल कर दिया है, ताकि उन्हें कम दर पर लोन मुहैया हो सका. इस दिशा में सरकार की कई योजनाएं क्रियान्वित है. मसलन, किसान फसल बीमा योजना, किसान सम्मान निधि सहित कई अन्य योजनाएं भी वर्तमान में चल रही है.
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