किसानों की मेहनत का उन्हें सही मूल्य दिलाने के लिए देश के प्रधानमंत्री मोदी ने शुक्रवार को तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने के फैसले की घोषणा की. इसके अलावा, शून्य बजट आधारित कृषि को बढ़ावा देने के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) प्रणाली को और अधिक प्रभावी और पारदर्शी बनाने के लिए एक समिति के गठन की घोषणा किया.
दरअसल, उन्होंने राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में किसानों के हित में घोषणा करते हुए कहा कि "आज ही हमने कृषि क्षेत्र से संबंधित एक और महत्वपूर्ण निर्णय लिया है. हम शून्य बजट खेती या प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने (Promote Natural Farming) के लिए देश की बदलती जरूरतों के अनुसार वैज्ञानिक तरीके से फसल पैटर्न बदलने और बनाने के लिए एक समिति गठित करेंगे.
उन्होंने कहा कि किसानों को उनकी मेहनत के बदले में उनकी उपज का सही मूल्य दिलाने के लिए कई पहल की गई है. हमने न केवल एमएसपी बढ़ाया, बल्कि रिकॉर्ड संख्या में सरकारी खरीद केंद्र भी बनाएं. सरकार द्वारा की गई उपज की खरीद ने पिछले कई दशकों का रिकॉर्ड तोड़ दिया है. इसके साथ ही उन्होंने आगे कहा कि इस समिति में केंद्र सरकार, राज्य सरकारों, किसानों के प्रतिनिधियों के साथ-साथ कृषि वैज्ञानिक और कृषि अर्थशास्त्री भी शामिल होंगे.
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इस बीच कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने स्पष्ट किया है कि समिति रिपोर्ट देगी जो देश के किसानों के लिए फायदेमंद होगी. उन्होंने कहा कि सरकार ने उत्पादन लागत से कम से कम 1.5 गुना अधिक एमएसपी तय करने का फैसला किया है. इसके अलावा, तोमर ने कहा कि केंद्र ने एमएसपी दरों पर गेहूं और धान के अलावा दलहन, तिलहन और मोटे अनाज की खरीद (Purchase Of Coarse Grains) शुरू कर दी है.
खरीफ और रबी सीजन के पिछले विपणन वर्षों के दौरान, खाद्यान्न की खरीद और वितरण के लिए नोडल एजेंसी, भारतीय खाद्य निगम ने एमएसपी पर रिकॉर्ड गेहूं और धान की फसल की खरीद की है. वर्तमान में, सरकार कृषि लागत और मूल्य आयोग (CACP) की सिफारिश के आधार पर MSP तय करती है.
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