मोदी सरकार (Modi Government) ने कृषि संबंधी 2 बिल (Agri Bill 2020) को लोकसभा में पास करवा लिया है. हालाकिं, किसानों ने इसका काफी विरोध किया, लेकिन फिर भी इन बिल को लोकसभा में पास कर दिया गया है. बता दें कि इसके विरेध में एनडीए (NDA) की सहयोगी शिरोमणि अकाली दल से आने वाली केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने इस्तीफा भी दे दिया है. सरकार के खिलाफ किसान नेताओं में काफी गुस्सा है. उनका कहना है कि कृषि संबंधी ये बिल अर्थव्यवस्था को संभालने वाले अन्नदाताओं की परेशानी बढ़ा देंगे.
अगर कांट्रैक्ट फार्मिंग (Contract Farming) में किसी तरह का विवाद होता है, तो उसका फैसला सुलह बोर्ड में होगा. इसका सबसे पावरफुल अधिकारी एसडीएम को बनाया गया है. इसकी अपील केवल डीएम यानी कलेक्टर के यहां होगी. राष्ट्रीय किसान महासंघ की मानें, तो इसमें कांट्रैक्ट फार्मिंग से जुड़े मूल्य आश्वासन पर किसान समझौता और कृषि सेवा बिल का एक प्रावधान काफी खतरनाक है. इसमें कहा गया है कि अगर अनुबंध खेती के मामले में कंपनी और किसान के बीच विवाद होने की स्थिति बनती है, तो इसके लिए कोई सिविल कोर्ट (Civil Court) नहीं जा पाएगा. इस मामले के सारे अधिकार एसडीएम (SDM) को दिए जाएंगे.
सुलह बोर्ड (Conciliation board) यानी एसडीएम द्वारा पारित आदेश उसी तरह होगा, जैसा सिविल कोर्ट की किसी डिक्री का होता है. अगर एसडीएम के खिलाफ अपील करना है, तो वह अथॉरिटी को कर सकते है. अपीलीय अधिकारी कलेक्टर या कलेक्टर द्वारा तय अपर कलेक्टर होगा. अपील आदेश के 30 दिन के भीतर की जाएगी.
क्या कहती है सरकार?
मोदी सरकार का कहना है कि कांट्रैक्ट फार्मिंग से खेती से जुड़ा जोखिम कम होगा. इससे किसानों की आमदनी में सुधार हो पाएगा. किसानों के लिए आधुनिक तकनीक और बेहतर इनपुट्स सुनिश्चित हो पाएंगे. इसमें बड़ी-बड़ी कंपनियां किसी खास उत्पाद के लिए किसान से कांट्रैक्ट करेंगी. उसका दाम पहले से तय हो जाएगा. इससे अच्छा दाम न मिलने की समस्या खत्म हो जाएगी.
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