आगामी लोकसभा चुनाव से पहले केंद्र सरकार किसानों को बड़ा तोहफा दे सकती है. इसके लिए केंद्र सरकार ने 'कृषि मंत्रालय' को 9 जनवरी तक किसानों को राहत पहुंचाने का फॉर्मूला पेश करने के लिए निर्देश दिया हैं, जिससे अगले सप्ताह संसद का शीतकालीन सत्र खत्म होते ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ बैठक में इसे पेश किया जा सके. प्रधानमंत्री के हरी झंडी दिखाते ही यह फॉर्मूला सभी के सामने पेश कर दिया जाएगा.
गौरतलब है कि राजग सरकार की मंशा आगामी लोकसभा चुनाव से पहले महज किसानों के लिए राहत योजना को लागू करने की ही नहीं है, बल्कि सरकार इस योजना के तहत मई-जून में होने वाले आम चुनाव में किसान वोट बैंक साधने के पक्ष में है. सरकार का मानना है कि ऐसा होने पर ही विपक्षी दलों के कर्ज माफी जैसे अस्त्र की काट बनकर यह फॉर्मूला किसान वोट एनडीए के पक्ष में करेगा. इसी वजह से कृषि मंत्रालय की तरफ से पेश होने वाले फॉर्मूले पर व्यवहारिक सुझाव देने और इसे तत्काल लागू करने का रास्ता सुझाने के लिए नीति आयोग, वित्त मंत्रालय और अन्य संबंधित मंत्रालयों के शीर्ष अधिकारी भी प्रधानमंत्री के साथ होने वाली बैठक में बुलाए गए हैं.
सीधा किसान के खाते में आएगा पैसा
मीडिया में आई ख़बरों के मुताबिक, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बिचौलियों को रोकने के लिए किसानों के खाते में सीधा पैसे भेजने के पक्ष में हैं. अब महज यह तय होना बाकी है कि किसान को किस फसल के लिए, कितनी रकम और कब देना उचित रहेगा. सूत्रों की मानें तो एक फसली मौसम में औसतन चार से पांच हजार रुपये की सरकार किसानों को राहत देने की तैयारी है. इस पर लगभग एक लाख 22 हजार करोड़ रुपये खर्च आने का अनुमान है.
दूर रहेगी कर्ज माफी से सरकार
ख़बरों के मुताबिक, कर्ज माफी का लाभ सिर्फ़ उन किसानों को मिलता है, जो बैंक से कर्ज लेते है. जबकि देश में किसानों की संख्या का करीब 50 से 55 % हिस्सा बड़े किसानों से बटाई या ठेके पर जमीन लेकर खेती करता है, जिन्हें बैंक से कर्ज नहीं मिलता. ऐसे में सरकारी कर्ज माफ़ी का योजना का लाभ इन किसानों तक नहीं पहुंचता. इसी वजह से सरकार ने कर्ज माफी योजना से दूर रहकर कोई और योजना जमीनी धरातल पर लाने का निर्णय लिया है.
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