
बिहार सरकार ने मखाना उत्पादन को प्रोत्साहित करने के लिए एक नई और महत्त्वपूर्ण योजना को मंजूरी दी है. उप मुख्यमंत्री-सह-कृषि मंत्री विजय कुमार सिन्हा ने जानकारी दी कि राज्य में एकीकृत बागवानी विकास मिशन के अंतर्गत मखाना अवयवों की योजना को स्वीकृति दी गई है, जिसका क्रियान्वयन वित्तीय वर्ष 2025-26 से 2026-27 तक किया जाएगा. इस योजना के लिए कुल ₹16.99 करोड़ की स्वीकृति दी गई है.
पहले वर्ष यानी 2025-26 में ₹11.53 करोड़ की निकासी एवं व्यय की अनुमति दी गई है, जबकि 2026-27 के लिए ₹5.45 करोड़ का प्रावधान प्रस्तावित है. इस योजना का उद्देश्य मखाना उत्पादन का क्षेत्र विस्तार कर किसानों की आय में वृद्धि और महिला सहभागिता को बढ़ावा देना है.
योजना का उद्देश्य और कार्यान्वयन
इस योजना का मुख्य उद्देश्य बिहार के 16 जिलों - कटिहार, पूर्णिया, दरभंगा, मधुबनी, किशनगंज, सुपौल, अररिया, मधेपुरा, सहरसा, खगड़िया, समस्तीपुर, भागलपुर, सीतामढ़ी, पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण और मुजफ्फरपुर में मखाना की खेती को प्रोत्साहित करना और उसका क्षेत्र बढ़ाना है.
इस योजना के तहत:
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किसानों को उन्नत बीज (स्वर्ण वैदेही एवं सबौर मखाना-1) उपलब्ध कराए जाएंगे.
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बीज उत्पादन और वितरण को बढ़ावा देने के साथ ही
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परंपरागत मखाना खेती उपकरण किट जैसे औका, गाँज, कारा, खैंचि, चटाई आदि भी दिए जाएंगे.
आर्थिक सहायता और किसानों को मिलने वाला लाभ
मखाना खेती की इकाई लागत ₹97,000 प्रति हेक्टेयर तय की गई है, जिसमें बीज, इनपुट और हार्वेस्टिंग का खर्च शामिल है. इसमें किसानों को 75% सब्सिडी यानी ₹72,750 प्रति हेक्टेयर की आर्थिक सहायता दो किस्तों में दी जाएगी.
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बीज किट के लिए अनुमानित लागत ₹22,100 प्रति किट निर्धारित है.
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इसमें भी 75% सब्सिडी यानी ₹16,575 प्रति किट की सहायता दी जाएगी.
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प्रत्येक किसान को न्यूनतम 0.25 एकड़ (0.1 हेक्टेयर) से लेकर अधिकतम 5 एकड़ (2 हेक्टेयर) तक का लाभ मिलेगा.
चयन प्रक्रिया और महिला सहभागिता
इस योजना में पहली बार खेत प्रणाली से मखाना की खेती करने वाले DBT पंजीकृत नए किसानों का चयन किया जाएगा. बीज वितरण का कार्य गठित समिति की अनुशंसा पर एफ.पी.ओ. (FPO) एवं प्रगतिशील किसानों के माध्यम से किया जाएगा.
योजना में महिला किसानों की सहभागिता को प्राथमिकता दी गई है. कुल लाभार्थियों में से कम से कम 30% महिलाएं होंगी, ताकि महिलाओं की आर्थिक भागीदारी को भी बढ़ावा मिल सके.
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