देश के किसानों को उनकी एक अलग पहचान दिलाने के लिए केंद्र व राज्य सरकार कई तरह की नीतियों को लॉन्च करती रहती है. इसी क्रमी में महाराष्ट्र सरकार ने शुक्रवार यानि 26 फरवरी को राज्य में कृषि निर्यात नीति (एईपी) की शुरुआत की, इस नीति के माध्यम से राज्य के किसानों की 21 कृषि वस्तुओं के निर्यात को बढ़ावा देने में बेहद मदद मिलेगी. इसे किसान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी जाने जाएंगे.
आपको बता दें कि भारत सरकार ने दिसंबर 2018 में अपनी कृषि निर्यात नीति का अनावरण किया था, जिसमें सभी राज्य सरकारों को अपनी नीति का एक खाका तैयार करने का निर्देश दिया गया था. इसी क्रम में राज्य सरकार ने मई 2019 में कृषि निर्यात नीति के लिए एक समिति का गठन किया. जिसमें महाराष्ट्र के मुख्य सचिव (सहकारिता और विपणन) अनूप कुमार ने कहा, कि हमें कृषि निर्यात पर सबसे अधिक ध्यान दिया जाना चाहिए. जो किसान भाइयों की आय बढ़ाने में मदद करेगा. एक रिपोर्ट के मुताबिक किसानों की यह आय 40 प्रतिशत से 50 प्रतिशत तक बढ़ सकती हैं. साथ ही उन्होंने यह भी कहा, कि घरेलू बाजार में किसान को लाभ देने के लिए तैयार है.
इसके अलावा उन्होंने राज्य की उपज पर भी कहा, कि विदेशी खरीदारों की सबसे अधिक शिकायत निर्यात नीति में अचानक हुए बदलाव को लेकर होती है, जिस कारण से भारत में निर्यातकों की विश्वसनीयता कम हो जाती है. जिसके चलते खरीदारों को वापस लाने में काफी समय बर्बाद हो जाता है. उन्होंने यह भी कहा की हमने अंतरराष्ट्रीय बाजार में बनाने अपने विश्वास को खो दिया है. जिसका सीधा असर देश के किसानों पर पड़ता है.
देश में निर्यात पर 4 बार प्रतिबंध लगा
इसी विषय में नासिक के जिला कलेक्टर में भी अपनी चिंता जाहिर करते हुए कहा, कि दिसंबर 2010 से लेकर दिसंबर 2020 से भारत सरकार ने न्यूनतम निर्यात मूल्य को लगाकर निर्यातकों पर कानूनी रूप से बाध्यकारी अनिवार्य कर दिया था. इसी तरह से देश में निर्यात पर लगभग 4 बार प्रतिबंध लगाया जा चुका है.
21 कमोडिटी विशिष्ट समूहों में फल व फसलों को जगहा
वहीं अब महाराष्ट्र सरकार के द्वार निर्यता प्रोत्साहन को बढ़ावा देने के लिए और साथ ही देश के किसानों को लाभ पहुंचाने के लिए 21 कमोडिटी विशिष्ट समूहों में कई फल व फसलों को शामिल किया गया है. जो कुछ इस प्रकार हैं...
केला, अनार, अल्फांसो आम, केसर आम, संतरा, अंगूर, मीठा चूना, प्याज, काजू, फूलों की खेती, किशमिश, सब्जियां, गैर-बासमती चावल, तिलहन, गुड़, मसाले (लाल मिर्च और हल्दी), डेयरी उत्पाद, मत्स्य पालन और पशु उत्पाद, दालें और अनाज आदि .
ये ही नहीं महाराष्ट्र सरकार ने कृषि निर्यात नीति में कुछ बदलाव भी किए. जिससे कई उत्पादों को शामिल किया गया हैं.
- बुनियादी ढांचे का निर्माण
- जैविक उत्पादों का निर्यात
- भौगोलिक संकेत के तहत पंजीकृत उत्पादों का निर्यात
- समुद्री प्रोटोकॉल और परीक्षण खेप विकसित करना
- कटाई के बाद के प्रबंधन के लिए अंतरराष्ट्रीय सलाहकारों को काम पर रखना
- उत्पादों के लिए कीट मुक्त क्षेत्र की घोषणा
- प्रभावी ट्रेसेब्लिटी प्रणाली का कार्यान्वयन
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