दुनिया कि सबसे बडी ट्रैक्टर निर्माता कंपनी महिंद्रा एंड महिंद्रा ने 25 अरब डॉलर के चीनी कृषि इक्विपमेंट बाज़ार में अपने बलबूते पे उतारने कि योज़ना बना रही है। पिछले साल चाईनीज वेंचर से अलग होने वाली एमएंडएम ट्रैक्टर के जरिए वहां पे प्रवेश नहीं करेगी बल्कि इस बार वह फार्म मशीनरी पे फोकस कर रही है। जिसका बाज़ार इतना बडा है कि वहां पे ब्रांड महिंद्रा को जड़ें गाड़ने के लिए पूरा अवसर मिलेगा। चाइनीज़ बाज़ार में फिर से प्रवेश करना एमएंडएम कि उस रणनीती का हिस्सा है। जिसके तहत वह आधी से ज्यादा सेल्स अंतराष्ट्रीय बाज़ार से हासिल कर सके एमएंडएम ने पिछले साल यूएडा यानचेंग ट्रैक्टर में अपना संपूर्ण 51 फीसदी स्टेक 80 करोड़ रुपए में बेच दिया।
कंपनी के फार्म इक्विपमेंट बिज़नेस के अध्यक्ष राजेश जेजुरिकर ने ईटी को बताया कि चाइना महींद्र कि ग्लोबलाईजेशन नीती का अहम हिस्सा है। क्योंकि ट्रैक्टर के साथ ही फार्म मशीन का भी विशाल बाज़ार है। उनके अनुसार एमएंडएम के पास चाइना के फार्म मशीनरी मार्केट में मिले अवसर का लाभ उठाने कि पूरी क्षमता है। यहां मित्सुबीशी के राइस ट्रांसप्लांटर्स और राइस हार्वेस्टर के अलावा सैंपो रोजेनेल्यू के के वीट हार्वस्टरस बेचे जा सकते है। राजेश का कहना है इस मार्कट में लोकल कंपनियों कि बजाए फॉरन प्लेयर्स यानी विदेशी कंपनीयों का दबदबा ज्यादा है। इस के चलते हमे प्रॉडक्टस कि क्षमता कि बज़ाए उसके दामों को लेकर मुकाबला करने का पूरा अवसर प्राप्त होगा। सैंपो रोजेनल्यू के वीट हार्वेस्टर्स चाइना के प्रीमियम सेगमेंट मार्केट के लिए सही है।
अंतराष्ट्रीय फार्म मशीनरी व्यापार 94 अरब डॉलर है और यह प्योर ट्रैक्टर व्यपार से ज्यादा है। ट्रैक्टर व्यपार के मुकाबले इस फार्म मशीनरी व्यपार का विकास खासा तेज रहने का अनुमान है। आने वाले 5-7 सालों में लगभग दोगुना होकर 180 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है। एमएंडएम ने निवेश डिटेल देने से मना कर दिया लेकिन उन्होने यह जरुर बताया कि उनका मकसद अपनी व्यापार नीती को एसेट लाइट रखना और अपने बिज़नेस को धीरे-धीरे खडा करना है।
महींद्रा एंड महिंद्रा ने 2004 में जियांगलिंग मोर्टस के साथ जेवी बनाकर चीनी बाज़ार में प्रवेश किया था। उन्होने चीन को ध्यान में रखकर 2008 में यूएडा के साथ दूसरा वेंचर उघम बनाया था। इस प्रकार ची में एक दशक कारोबार करने के बाद भी ट्रैक्टर बाज़ार में एमएंडएम कि हिस्सेदारी नग्णय रही। राजेश के मुताबिक चीनी बाज़ार को ध्यान में रखते हुए उत्पादन लो कॉस्ट और एसेट लाईट होगा। उन्होने कहा हमने कोई समय सीमा तय नहीं कि है। फिल्हाल यह देख रहे कि कारोबार कितना फायदेमंद रहेगा। हम कान्ट्रैक्ट उत्पादन में मिलने वाले अवसरों का लाभ उठाएंगे
भानु प्रताप
कृषि जागरण
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