
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण तथा ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आज नई दिल्ली से वर्चुअल माध्यम से देशभर के 731 कृषि विज्ञान केंद्रों (केवीके) के प्रमुखों और वैज्ञानिकों से संवाद किया. इस विशेष संवाद का उद्देश्य खेती-किसानी को सशक्त बनाने के लिए केवीके की भूमिका को और प्रभावी बनाना था.
अपने संबोधन में चौहान ने कृषि विज्ञान केंद्रों को किसान उन्मुख प्रयासों में तेजी लाने का आह्वान किया. उन्होंने कहा कि केवीके खेती-किसानी के क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन ला सकते हैं और किसानों की आय बढ़ाने में अहम भूमिका निभा सकते हैं. केंद्रीय मंत्री ने कहा, "खेती-किसानी की उन्नति में केवीके सशक्त माध्यम बनें, यही हमारा लक्ष्य है."
चौहान ने सभी केवीके और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) को खरीफ फसलों की बुआई से पहले व्यापक किसान जागरूकता अभियान चलाने का निर्देश दिया. उन्होंने प्राकृतिक खेती, जल संरक्षण और किसानों के हित में उत्पादकता बढ़ाने पर विशेष बल दिया. बैठक में उत्कृष्ट कार्य करने वाले केवीके को पुरस्कृत करने के प्रस्ताव पर भी चर्चा हुई. इसके तहत अगले वर्ष से उन केंद्रों को पुरस्कार देने की योजना है, जो अपने क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करेंगे.
संवाद के दौरान विभिन्न राज्यों के केवीके प्रमुखों ने अपने-अपने क्षेत्र के कार्यों और उपलब्धियों की जानकारी दी. आईसीएआर के महानिदेशक डॉ. एम.एल. जाट और उप महानिदेशक डॉ. राजबीर सिंह ने केवीके की भूमिका और कार्यों की रूपरेखा प्रस्तुत की.
शिवराज सिंह ने किसानों के लिए क्षमता निर्माण प्रशिक्षण को अत्यंत आवश्यक बताते हुए कहा कि किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड के आधार पर उर्वरकों का संतुलित उपयोग सिखाना चाहिए. उन्होंने कृषि में लागत घटाने, उत्पादन बढ़ाने, फसलों के उचित मूल्य दिलाने, नुकसान की भरपाई, खेती का विविधीकरण और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए 6 सूत्रीय रणनीति भी प्रस्तुत की.
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि कृषि विज्ञान केंद्रों को मॉडल फार्म विकसित करने चाहिए और किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) के माध्यम से किसानों को तकनीक और बाजार से जोड़ना चाहिए. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के "प्रति बूंद अधिक फसल" विजन को आगे बढ़ाते हुए जल संरक्षण को भी प्राथमिकता देने की बात कही.
बैठक के समापन पर चौहान ने केवीके प्रमुखों से कार्य को पूजा समझकर निष्पक्ष और परिणामोन्मुख ढंग से काम करने की अपील की. साथ ही 15 जून 2025 से खरीफ बुआई से पहले व्यापक किसान जागरूकता अभियान चलाने के प्रस्ताव पर भी सहमति जताई गई. यह संवाद कृषि क्षेत्र में एक नई ऊर्जा भरने और किसानों को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है.
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