जैसे कि हम सभी जानते हैं, भारत एक विशाल देश है. जहां ज्यादतर लोग खेती करके अपना जीवन यापन करते हैं. हालांकि पहले की खेती और वर्तमान में खेती करने की प्रक्रिया में बहुत बड़ा अंतर हुआ है. बता दें कि, स्वतंत्रता से पूर्व भारत में की जाने वाली खेती में किसी भी प्रकार के रासायनिक पदार्थों का उपयोग नहीं किया जाता था.
परन्तु जनसंख्या विस्फोट के कारण अन्न की मांग बढ़ने लगी और धीरे-धीरे लोगों ने कृषि उत्पादन बढ़ाने के लिए रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग करना प्रारंभ कर दिया.
ऑर्गेनिक खेती फसल उत्पादन की एक प्राचीन पद्धति है. आपको बता दें, कि ऑर्गेनिक खेती को जैविक खेती भी कहते है. जैविक कृषि में फसलों के उत्पादन में गोबर की खाद (Manure), कम्पोस्ट, जीवाणु खाद, फसलों के अवशेष और प्रकृति में उपलब्ध विभिन्न प्रकार के खनिज पदार्थों के माध्यम से पौधों के पोषक तत्व शामिल होते है. सबसे खास बात यह है, कि इस प्रकार की खेती में प्रकृति में पाए जाने वाले तत्वों को कीटनाशक के रूप में प्रयोग किया जाता है. जैविक खेती पर्यावरण की शुद्धता बनाए रखने के साथ ही मिट्टी के प्राकृतिक स्वरूप को भी बनाये रखती है.
इसी कड़ी में आज कृषि जागरण ने एक live session का आयोजन किया, जिसमे आर्गेनिक खेती (organic farming) और उसके महत्व के बारे में विस्तार से किसानों को बताया गया. कृषि जागरण के इस live session में महिंदर सिंह जो कि व्यवसाय विकास- सीईएफ समूह के निदेशक है और कृषि वैज्ञानिक, डॉ मनोज कुमार राजपूत ने अपने विचारों को व्यक्त किया.
सर्वप्रथम डॉ मनोज कुमार राजपूत ने कृषि जागरण के इस live session में कहा कि, एक रिपोर्ट के मुताबिक हमारे देश में ज्यादातर किसान ऑगर्निक खेती कर रहे है. इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा कि आने वाले समय में जैविक खेती की मांग और भी अधिक होने वाली है. क्योंकि इसकी खेती से किसानों को दुगना लाभ मिलता है. साथ ही इन्होंने यह भी कहा कि देश के किसान वर्मीकम्पोस्ट का इस्तेमाल खेती में करते रहते हैं. इसके अलावा डॉ. मनोज ने रासायनिक खेती को छोड़कर ऑर्गेनिक खेती करने के कई तरीकों के बारे में भी बताया.
इसके बाद महिंदर सिंह ने भी आर्गेनिक खेती को लेकर अपना विचार व्यक्त किया. उन्होंने कहा कि हमारे देश में पहले केमिकल का प्रयोग नहीं होता है. 1960 के बाद हमारे देश में केमिकल का इस्तेमाल किया जाने लगा. किसानों ने जब केमिकल के प्रयोग को खेती में करके देखा तो इसे उनकी फसल में बढ़ोत्तरी होने लगी. तो उन्होंने अपनी फसल में अधिक से अधिक रसायनिक खादों का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया. जिसका सीधा प्रभाव मिट्टी पर पड़ना शुरू हो गया. आज के समय में मिट्टी की ऐसी स्थिति बन गई है कि जो मिट्टी की मात्रा 1 से 3 प्रतिशत होना चाहिए था. वह 0.3 से 0.6 प्रतिशत के बीच में रह गया है.
इसके अलावा उन्होंने इसके प्रभाव से व्यक्ति में होने वाली बीमारियों के बारे में भी बताया कि कैसे आए दिन लोग कई खतरनाक बीमारियों का सामना कर रहे है. साथ ही इनका कहना है कि किसानों को केमिकल खेती को छोड़ ऑर्गेनिक खेती करने को बढ़ावा देना चाहिए. इसके अलावा इन्होंने अपना खाद के बारे में भी किसानों को कृषि जागरण के इस लाइव सेशन में बताया कि कैसे अपना खाद को खेती में अपनाने से किसानों को भविष्य में अधिक लाभ प्राप्त मिलेगा.
कृषि जागरण के इस live session में कई तरह की चर्चा की गई, जिससे किसानों को तो लाभ होगा ही साथ ही लोग स्वस्थ और सुरक्षित भी रहेंगे. यदि आप पूरा session देखना चाहते हैं, तो आप हमारे फेसबुक पेज पर जाकर इस विशेष चर्चा को विस्तार से देख सकते हैं.
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