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जानिए इस विदेशी सब्जी के बारे में क्या है फायदे, भारत में भी होती है खेती

यूँ तो भारत में बहुत सी ऐसी सब्जियां हैं जिनको विदेशों से लाकर देश में उगाया गया है, टमाटर आदि विदेशी सब्जी है. लेकिन पिछले कुछ समय से भारतीय किसानों में विदेशी सब्जियों को उगाने का क्रेज बढ़ा है. नतीजन भारतीय किसानों को इससे फायदा भी मिल रहा है. कुछ विदेशी सब्जियां और फल तो ऐसे हैं

यूँ तो भारत में बहुत सी ऐसी सब्जियां हैं जिनको विदेशों से लाकर देश में उगाया गया है, टमाटर आदि विदेशी सब्जी है. लेकिन पिछले कुछ समय से भारतीय किसानों में विदेशी सब्जियों को उगाने का क्रेज बढ़ा है. नतीजन भारतीय किसानों को इससे फायदा भी मिल रहा है. कुछ विदेशी सब्जियां और फल तो ऐसे हैं कि जिनसे किसान अच्छी आय ले रहे हैं. ऐसी ही कुछ विदेशी सब्जियों के बारे में हम बात करेंगे. इसमें से एक है वाइल्ड राकेट सलाद. यह एक सब्जी एक मेडिसिनल प्लांट दोनों रूप में काम आती है. यह मूल रूप से सिरिया, लेबनान और तुर्की में पाया जाता है. भारत में इस प्लांट की खेती कई स्थानों पर की जा रही है. इसको खाने के साथ सलाद के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है. इसको अलग-अलग देशों में अलग-अलग नाम से जाना जाता है. विदेश में इस पौधे की अच्छी मार्किट है. इसकी बुवाई का समय अलग है और यह बहुत ही कम समय में तैयार हो जाता है...

बुवाई का समय : इसकी बुवाई का समय अप्रैल से सितम्बर तक होता है. अप्रैल से सितम्बर के मध्य इसकों उर्वरा भूमि में हलके उगले मौसम में बिया जा सकता है. बुवाई के समय प्रत्येक पंक्ति में १५ सेमी का अंतर होना चाहिए. यदि आप बीज के स्थान पर पौधों को बोयेंगे तो ज्यादा अच्छा रहेगा.

इसमें होने वाली समस्याए

पिस्सू : यह एक पिस्सू की तरह का कीट होता है जो पत्ती को खाता है. जिससे की उसमें छोटे-छोटे छेद हो जाते हैं . इससे पौधे का अंकुरण समाप्त हो जाता है.

बचाव : इससे बचाव के लिए पौधे को सही मिटटी में बोया जाए और इसमें ट्राईकोग्रामा को इस्तेमाल किया जा सकता है. जिससे इस को नियंत्रित किया जा सकता है.

फूलों का झाड़ना : फूलों का झड़ना भी एक समस्यां है. इससे पौधे का पूरा फूल झड जाता है.

समाधान : इस समस्या के निदान के लिए सही समय पर इसकी बुवाई करनी चाहिए और मिटटी की उर्वरा शक्ति का ध्यान रखना आवश्यक है.

कटाई : यह बहुत जल्दी तैयार होने वाली फसल है. बुवाई के चार सप्ताह के बाद यह कटाई के लिए तैयार हो जाती है. चार सप्ताह के बाद इसको आसानी से काटा जा सकता है. एक कटाई के बाद दोबारा भी इससे फसल प्राप्त होती है. ध्यान रहे इसकी पत्तियां ही काम आती हैं.

वैरायटी : वाइल्ड स्काई राकेट की प्रजातियाँ है.

स्काई राकेट : यह तेजी से बढ़ने वाली प्रजाति है जिससे अच्छा लाभ लिया जा सकता है.

रनवे : यह बहुत तेजी से बढ़ने वाली प्रजाति है.

अपोलो : इस प्रजाति का स्वाद भी अलग होता है और यह तेजी से बढ़ता है .

स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद : इसका इस्तेमाल सलाद के रूप में और औषधीय दोनों ही रूप में होता है. इसमें विटामिन C,K,A और Folate, iron का बेहतरीन सोर्स है. इसके इस्तेमाल से यह कैंसर से बचाता है. ह्रदय, त्वचा को स्वस्थ बनाए रखता है. इसके अलावा यह नजर को भी तेज बनाता है. यह न्यूट्रीशन का एक बेहतरीन सोर्स है.

कुछ ख़ास बातें : मिडिल ईस्ट में इसको खांसी और लीवर की बिमारियों से छुटकारा पाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. इसकी पत्तियों और फूलों को सलाद के रूप में इस्तेमाल किया जाता है. इसके अलावा इसको हरी सब्जियों और पिज्जा अथवा पास्ता के साथ भी इस्तेमाल किया जाता है.

English Summary: Know what is the advantage of this foreign vegetable cultivation in India too. Published on: 18 September 2018, 06:43 AM IST

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