देश और देशवासियों के हित में लगातार नई योजनाओं पर काम और उस पर विचार करना प्रधानमंत्री और उनके मंत्री मंडल का स्वभाव रहा है. विभिन्न योजनाओं के तहत देश के कमजोर वर्ग को मजबूत बनाने का काम कर रही मोदी सरकार ने इसी दौरान आज यानी बुधवार को मध्यप्रदेश में स्वामित्व योजना के लाभार्थियों के साथ बाचतीच करेंगे और योजना की जमीनी स्थिति का अंदाजा लगाएंगे.
इस अवसर पर पीएम मोदी 19 जिलों के 3000 गांवों में 1,71,000 लाभार्थियों को ई-प्रॉपर्टी कार्ड भी वितरित करेंगे. इस कार्यक्रम में मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी शामिल होंगे. राज्य के हरदा जिले में आयोजित होने वाले इस कार्यक्रम में पीएम मोदी डिजिटल तरीके से शामिल होंगे और दोपहर 12:30 बजे संबोधित इस विषय पर अपनी जानकारी देते हुए इसपर मौजूदा लोग और विशेषज्ञों से बात चीत करेंगे.
क्या है स्वामित्व योजना ?
स्वामित्व योजना भी अन्य योजनाओं से मिलता जुलता है. यानि इस योजना के तहत भी ग्रामीण इलाकों के लोगों को और भी सबल और कुशल बनाने की प्रयास मोदी सरकार द्वारा की जा रही है. गांव के लोगों को आर्थिक रूप से किस तरह से मजबूत बनाया जाए, इस पर लगातार मोदी सरकार काम कर रही है. स्वामित्व योजना केंद्रीय पंचायती राज मंत्रालय की ओर से चलाई जा रही है. इस योजना का लक्ष्य देश के गांवों में लोगों को उनकी आवासीय जमीन का मालिकाना हक देना है. केंद्र सरकार यह भी दावा कर रही है कि यह योजना ग्रामीणों को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में बेहद मदद करेगी.
मंत्रिमंडल के अनुसार यह योजना शहरी क्षेत्रों की तरह, ग्रामीणों की ओर से ऋण और अन्य वित्तीय लाभ लेने के लिए वित्तीय संसाधन के रूप में संपत्ति का उपयोग करने का मार्ग प्रशस्त करेगी. पीएमओ के मुताबिक इसका उद्देश्य नवीनतम सर्वेक्षण ड्रोन-प्रौद्योगिकी जैसी नई तकनीकों के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में आवासीय क्षेत्रों का सीमांकन करना है.
जानिए स्वामित्व योजना के लाभ
स्वामित्व योजना को पूरी तरह से सफल बनाने के लिए देश के सभी गांवों में ड्रोन की मदद से हर संपत्ति की मैपिंग होगी. इसके बाद वहां के लोगों को उस संपत्ति का मालिकाना हक के कागज दिए जाएंगे. इस योजना का मुख्य उद्देश्य गांव के पिछड़े और दबे कुचले लोगों को उनका मालिकाना हक़ कागज़ात सहित लौटना है. इस योजना की शुरुआत के बाद शहरों की तरह गांव के लोग भी अपनी संपत्ति पर बैंकों से ऋण ले सकेंगे.
किसानों को फसलों की खेती के लिए अक्सर पैसों की जरुरत होती है. उस स्थिति में उन्हें गांव के जमींदार या फिर मंडी में बैठे बिचौलियों के पास जाना पड़ता है. अधिक ब्याज पर पैसे देकर उनसे मजदूरी करवाने की प्रथा काफी पुरानी और प्रचलित है. इस स्थिति से किसानों को बाहर निकलने और उन पर हो रहे शोषण को रोकने के लिए सरकार ये कदम इस योजना के तहत उठाने जा रही है. आशा है कि आने वाले दिनों में किसानों को इससे बड़ी राहत मिलेगी.
डिजिटल प्रक्रिया से किसानों को जरुरी मदद मिलेगी यानि अगर किसी संपत्ति पर दो पक्षों के बीच विवाद होता है तो रिकॉर्ड डिजिटली होने के कारण इसे जल्द से जल्द सुलझा लिया जाएगा. इस योजना की घोषणा वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी 2021 को बजट के दौरान की थी. अब इस पर सरकार पूरी तरह से काम कर इस योजना को सफल बनाने की राह पर निकल चुकी है.
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