भारत में गन्ना की खेती नगदी फसल के रूप में होती है. इसको कई तरह से इस्तेमाल किया जाता है. गन्ने से चीनी, गुड़, शक्कर और शराब का निर्माण किया जाता है. दुनियाभर में गन्ना उत्पादक होता है, तो वहीं भारत इस उत्पादन में दूसरे नंबर पर आता है.
बता दें कि भारत जितना गन्ने का उत्पादक देश है, उतना ही बड़ा उपभोक्ता देश भी है. उत्तर और मध्य भारत में इसकी ज्यादा पैदावार की जाती है. गन्ना एक उष्ण–कटिबंधीय पौधा है. किसान आज भी परम्परागत तरीके से गन्ने की खेती करते है. वैसे आज के दौर में कई नई किस्में और विधियाँ आ गई है. जिनसे गन्ने की पैदावार को बढ़ाया जा सकता है. खास बात है कि इसके पौधे पर विषम परिस्थितियों का कोई ख़ास असर नहीं पड़ता है. शायद इसी वजह से गन्ना की खेती एक सुरक्षित और लाभदायक फसल मानी गई है. आज हम आपको इसकी खेती के बारें में पूरी जानकारी देने वाले हैं. तो इस लेख को अंत तक जरुर पढ़ें.
जलवायु
गन्ने की खेती का समय एक से डेढ़ साल का होता है. इसकी खेती में आद्र शुष्क जलवायु अच्छी रहती है. गन्ने की खेती में ज्यादा बारिश की जरूरत नहीं होती. इसके लिए साल भर में करीब 75 से 120 सेंटीमीटर बारिश काफी होती है. इसके बीजों को अंकुरित होने के लिए करीब 20 डिग्री का तापमान चाहिए होता है. तो वहीं अगर तापमान करीब 21 से 27 डिग्री हो, तो गन्ने के पौधे अच्छे से विकास कर पाते हैं. इससे अच्छी पैदावार मिलती हैं.
मिट्टी
इसकी खेती में गहरी दोमट मिट्टी अच्छी मानी जाती है. गन्ना जलभराव वाली जमीन में नहीं उगाया जा सकता है, क्योंकि जल भराव की वजह से पौधे खराब होने लगते हैं. इसकी खेती के लिए सामान्य पी.एच. वाली मिट्टी की आवश्यकता होती है.
उन्नत किस्में
गन्ने की कई उन्नत किस्में होती है. इनको उत्पादन क्षमता और पकने के वक्त के अनुसार ही तैयार किया गया है.
खेत की तैयारी
सबसे पहले खेत की गहरी जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से करें. इसके बाद खेत में पुरानी गोबर की खाद को मिट्टी में अच्छी तरह मिला लें. जब खेत में नमी की मात्रा कम हो, तब खेत का पलेव कर दें. पलेव करने के कुछ दिन बाद खेत में खरपतवार निकल आती है. अब खेत की एक बार फिर तिरछी जुताई कर खुला छोड़ दें. इसके बाद रिजर चलाकर गन्ने के बीज की रोपाई के लिए खेत को तैयार कर लें.
गन्ना बोने का समय
गन्ने को अक्टूबर से नवम्बर के बीच बोया जाता है. तो वहीं जबकि बसंत कालीन रोपाई के लिए फरवरी और मार्च का महीना ठीक माना गया है. बता दें कि जिस गन्ने की रोपाई शरद काल में की जाती है, वो गन्ना बसंत काल में की गई रोपाई से ज्यादा पैदावार देता है.
पौधों की सिंचाई
गन्ने के पौधों को अंकुरित होने के लिए तुरंत पानी की आवश्यकता नहीं पड़ती है, क्योंकि इसकी रोपाई आद्रता युक्त जमीन में की जाती है. अगर गर्मी का मौसम है तो इसके पौधों को सप्ताह में एक बार पानी दे देना चाहिए. अगर सर्दी का मौसम है तो पौधों को करीब 15 से 20 दिन के अंतराल में पानी दे देना चाहिए.
निराई-गुड़ाई
गन्ने की हर महीने एक बार गुड़ाई की जाती है. इससे खेत में जन्म लेने वाली खरपतवार को निकाल दिया जाता है. बताया जाता है कि गन्ने के खेत में रोपाई के बाद एट्राजिन की उचित मात्रा का छिडकाव कर देना चाहिए. इस दौरान खेत में नमी बनी रहनी चाहिए. ताकि इसका प्रभाव फसल पर न पड़े. वैसे छिड़काव बारिश के वक्त करना ठीक रहता है.
फसल की कटाई
गन्ने के पौधों की कटाई जमीन के पास से करनी चाहिए. ताकि पौधों में फिर से कल्लें निकल सकें. अगर गन्ने की अगेती फसल है तो करीब 10 से 12 महीने बाद कटाई कर सकते है और पछेती किस्म है तो फसल करीब 14 महीने से ज्यादा का वक्त लेती है.
पैदावार
गन्ना एक नगदी फसल है. जिससे किसान भाइयों की अच्छी खासी कमाई हो सकती है. अगर इसके पैदावार की बात करें, तो एक एकड़ से लगभग 300 क्विंटल की पैदावार हो सकती है.
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