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Joshimath Sinking: दर्द, दरार और आंसू! जोशीमठ में दरारों वाली घरों की संख्या पहुंची 600 के पार, जानें क्या है वजह

जोशीमठ में घरों में दरार आने की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है, हालांकि प्रशासन लोगों को सुरक्षित स्थानों में पहुंचाने के काम कर रही है. इस लेख में पढ़ें की आखिर क्यों पैदा हुए जोशीमठ में ऐसे हालात...

निशा थापा
दर्द, दरार और आंसू! जोशीमठ में दरारों वाली घरों की संख्या पहुंची 600 के पार, जानें क्या है वजह
दर्द, दरार और आंसू! जोशीमठ में दरारों वाली घरों की संख्या पहुंची 600 के पार, जानें क्या है वजह

चमोली जिला जो कभी पेड़ों को बचाने के लिए चिपको आंदोलन के लिए प्रसिद्ध है वह आज प्रकृति के प्रकोप के आगे झुक रहा है. जी हां हम बात कर रहे हैं जोशीमठ की, जहां घरों में दरार आने की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा हैहालांकि सरकार की तरफ से लोगों को घर खाली करने की अपील की जा रही है. जोशीमठ वासियों के लिए फिलहाल सरकारी स्कूलों में इंतेजाम किया जा रहा है. 

जोशीमठ के एक मंदिर पर रखे शिवलिंग में आई दरार
जोशीमठ के एक मंदिर पर रखे शिवलिंग में आई दरार

मगर क्या इस खून जमा देने वाली ठंड में हजारों लोगों के रहने की व्यवस्था हो पाएगी? सवाल वहीं का वहीं है कि जोशीमठ के हजारों लोग जिनमें से कई लोग अपनी दिनचर्या के लिए केवल अपने खेतों में आश्रित हैं वह पुनर्वास के बाद क्या करेंगे. आखिर कौन है इन लोगों के आंसू का जिम्मेदार?

क्यों हो रहा जोशीमठ तबाह

जोशीमठ चार धामों में जाने का एक प्रमुख मार्ग होने की वजह से बहुत जल्द से जल्द बसने लगा. भू-वैज्ञानिक बताते हैं कि यह कोई पहाड़ नहीं है, बल्कि जोशीमठ रेत, मिट्टी और बड़े बोल्डर पर बसा हुआ एक छोटा शहर है, जो कि ग्लेशियर और भूस्खलन के बाद आए मलबे से बना. शहर तो बसा मगर बिना सीवर मैनेजमेंट और ड्रेनज के, जिसके बाद जैसे-जैसे आबादी बढ़ती गई पहाड़ पर भार भी बढ़ता गया. लोगों और व्यापारियों ने कंस्ट्रक्शन कार्य चलाया और जोशीमठ की जमीन की सहनशीलता जबाव देने लगी. अब स्थिति आपके सामने है. पहाड़ खिसक रहे हैं, जिस कारण से लोगों के आशियाने भी खिसक रहें हैं और दरारें देखने को मिल रही हैं. लोगों के आंखों में अपना आशियाना खोने का डर साफ देखा जा रहा है.

जोशीमठ में अपने दरकते हुए आशियाने को निहारती उदास महिला
जोशीमठ में अपने दरकते हुए आशियाने को निहारती उदास महिला

जोशीमठ में 600 से अधिक घरों पर दरार

मीडिया रिपोर्ट की मानें तो जोशीमठ में 600 से अधिक घरों पर दरारें आ चुकी हैं, जिसमें से कई परिवार तो वहां से शिफ्ट हो चुके हैं. सड़कों में भी दरारे आ चुकी हैं. जमीन फट रही है और सीवेज का पानी बाहर आ रहा है. 

जोशीमठ के बाद यहां भी हो सकती है बस्ती तबाह

जोशीमठ के बाद उत्तराखंड के और भी शहर हैं जहां बढ़ती आबादी, अनियंत्रित निर्माण और सैलानियों के दबाव के कारण खतरा मंडरा रहा है. जिसमें मसूरी, नैनीताल, उत्तरकाशी का भटवाड़ी, बागेश्वर का कुंवारी गांव, नैनीताल, पिथौरागढ़ का धारचूला, रूद्रप्रयाग, पौड़ी आदि जैसे शहर शामिल है. प्रशासन को जोशीमठ जैसे हालात पैदा होने से पहले यहां पर सख्त कदम उठाने की आवश्यकता है.

यह भी पढ़ें: Joshimath: घरों- सड़कों में दरार! लोग अपने आशियाने छोड़ने को मजबूर

जोशीमठ में अधिक निर्माण की एक तस्वीर
जोशीमठ में अधिक निर्माण की एक तस्वीर

जोशीमठ में जमीन लगातार फट रही है, वहां के लोग डर के साए में जी रहे हैं. लोगों का कहना है कि कभी भी उनका मकान गिर सकता है क्योंकि अचानक जमीन दरकने की आवाजें आ रही हैं. साथ ही वहां की सड़कें भी फट रही हैं. अब सवाल यह है कि जमीन की दरारें तो कैसे न कैसे भर दी जाएंगी, मगर जो लोगों के दिलों में दरार आई है उसे शायद ही कोई भर पाएगा.

English Summary: Joshimath Crisis: Pain, Cracks and Tears! The number of houses with cracks in Joshimath crossed 600, know what is the reason Published on: 09 January 2023, 11:28 AM IST

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