जोशीमथ जो कभी अपने तीर्थ पवित्र स्थानों के लिए जाना जाता था. इन दिनों दरारों के लिए सुर्खियों में हैं. जोशीमथ के तकरीबन 600 से अधिक घरों पर दरारें आ चुकी है जिससे लोगों के बीच डर का माहौल है. जोशीमथ से शुरू हुआ भूमि की धसना अब कर्णप्रयाग में भी देखने को मिल रहा है. कई घरों में दरार के बाद सड़कों में यही मंजर देखने को मिल रहा है, साथ कई यदि सिलसिला यूं ही चलता रहा तो वहां के हजारों लोग अपना आशियाना खो देंगे.
हजारों लोंगों की जिंदगी दांव पर
जोशीमठ में यह पहली बार नहीं है कि जब घरों में दरार पड़ने की स्थिति देखी जा रही है, इससे पहले भी कई बार लोगों के घरों पर दरारें आ चुकी है. अब सवाल यह है कि यदि दरारों का सिलसिला पहले से ही था, तो इसके लिए कोई सख्त कदम क्यों नहीं उठाए गए? कई परिवार अपने घर खाली कर अपने पुश्तैनी गांव या अन्य जगहों पर चले गए हैं, लेकिन हजारों लोग अब भी जोशीमठ पर प्रशासन की मदद में बैठे हुए हैं. कुछ लोगों का कहना है कि उन्होंने कर्ज लेकर अपने घर बनवाए थे, जिसे अभी चुकाया भी नहीं गया है ऐसे में अब वह जाएं तो जाएं कहा. गरीब लोगों के लिए तो मानों सर पर गाज गिर गई है.
बता दें कि जोशीमठ 6,000 फीट की ऊंचाई पर, उत्तराखंड के चमोली क्षेत्र का शहर बद्रीनाथ और हेमकुंड साहिब जाने वाले यात्रियों द्वारा उपयोग किए जाने वाले प्रमुख मार्ग के रूप में कार्य करता है. यह उच्च जोखिम वाले भूकंपीय क्षेत्र V में स्थित है.
सीएम ने किया दौरा
बता दें कि शनिवार को राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी में जोशीनठ का निरिक्षण किया और लोगों से उनका हाल जाना. इसी क्रम में आज पीएम मोदी ने हालात जानने के लिए सीएम धामी से फोन पर बात की और मदद का आश्वासन दिया.
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तो वहीं यदि इस मामले पर पहले से ही सख्त कदम उठाए तो होते तो शायद आज यह स्थिति पैदा नहीं होती. भू वैज्ञानिकों की मानें तो मनमाने ढंग से इलाके में कंस्ट्रक्शन ने बढ़ाया गया, जिसके बाद पहाड़ में वजन और दबाव सहने की क्षमता खत्म हो चुकी है और यही कारण है कि जोशीमठ में पहाड़ दरक रहें हैं.
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