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यह खरपतवारनाशी किसानों के लिए भी हानिकारक, प्रतिबंध लगाने को छिड़ी बहस

महाराष्ट्र में कपास के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले खरपतवारनाशक ग्लाइफोसेट पर बहस छिड़ी हुई है। इसके लिए राज्य के यवतमाल के कृषि अधिकारी ने राज्य को एक खत लिखकर इसे प्रतिबंधित करने की मांग की है। उनका मानना है कि इसका उपयोग केवल चाय के लिए प्रस्तावित है तो फिर कपास में खरपतवार के विनाश के लिए इसका इस्तेमाल न किया जाए।

महाराष्ट्र में कपास के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले खरपतवारनाशक ग्लाइफोसेट पर बहस छिड़ी हुई है। इसके लिए राज्य के यवतमाल के कृषि अधिकारी ने राज्य को एक खत लिखकर इसे प्रतिबंधित करने की मांग की है। उनका मानना है कि इसका उपयोग केवल चाय के लिए प्रस्तावित है तो फिर कपास में खरपतवार के विनाश के लिए इसका इस्तेमाल न किया जाए।

दरअसल विदर्भ क्षेत्र में कपास की खेती में खरपतवारों के लिए आजकल रासायनिक खरपतवारनाशियों का उपयोग किया जाता है। हालांकि यू.एस बायोटेक मॉनसेंटो के द्वारा ग्लाइफोसेट खरपतवारनाशीयों का निर्माण किया जाता है।

इस दौरान यवतमाल जिला कृषि अधिकारी ने यह भी बात उठाई है कि ग्लाइसोफेट को आंध्र प्रदेश में प्रतिबंधित किया जा चुका है लेकिन सीमावर्ती इलाकों से इसे यवतमाल में भेजा जा रहा है।

सेंट्रल बोर्ड ऑफ इंसेक्टिसाइड द्वारा भी इसे प्रतिबंधित करने के लिए एक बार विचार किया जाएगा जिसके बाद ही इस तरीके का कोई फैसला लिया जाएगा। लेकिन इस पर प्रतिबंध का प्रस्ताव फिलहाल राज्य कृषि विभाग के संज्ञान में जरूर लाया जाएगा।

English Summary: It is also harmful to the weed farmers, the debate over the ban Published on: 02 April 2018, 11:45 PM IST

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