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ऐसे तो टूट जाएंगे सारे ख्वाब, नहीं हो पाएगी किसानों की दोगुनी आय, पढ़ें ये रिपोर्ट

अगर यह सिलसिला यूं ही जारी रहा तो फिर सरकार के साथ-साथ किसानों के भी ख्वाब चकनाचूर हो जाएंगे, लिहाजा इस सिलसिले पर विराम लगाने के लिए सरकार अपनी तरफ से भरसक कोशिश कर रही है. बता दें कि पिछले दो सालों से गेहुं के उत्पादन में गिरावट दर्ज की जा रही है.

सचिन कुमार
Wheat Crops
Wheat Crops

अगर यह सिलसिला यूं ही जारी रहा तो फिर सरकार के साथ-साथ किसानों के भी ख्वाब चकनाचूर हो जाएंगे, लिहाजा इस सिलसिले पर विराम लगाने के लिए सरकार अपनी तरफ से भरसक कोशिश कर रही है. 

बता दें कि पिछले दो सालों से गेहुं के उत्पादन में गिरावट दर्ज की जा रही है. अगर गिरावट का यह  सिलसिला यूं ही जारी रहा तो आगामी 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करने का केंद्र सरकार का लक्ष्य पूरा होने से पहले ही अधूरा रह जाएगा, चूंकि गेहूं का उत्पादन कम होने से इसकी कीमत  में वृद्धि होना लाजिमी है. वहीं, केंद्र सरकार पर भी इसका प्रभाव देखने को मिल सकता है. सरकार को किसानों से फसल खरीदने के लिए अपने न्यूनतम समर्थन मूल्य के दर को बढ़ाना होगा. इससे किसानों की आय दोगुना करने की कोशिश नाकाम हो सकती है.  

क्या कहते हैं, कृषि मंत्रालय के आंकड़े

वहीं, केंद्रीय कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, 2015-16 में गेहूं का उत्पादन 3034 प्रति हेक्टेयर था. 2016-17 में गेहूं के उत्पादन में 5.67 फीसद की वृद्धि दर्ज की गई. 2017-18 में गेहूं के उत्पादन में 3,368 प्रति हेक्टेयर था. 2018-19 में गेहूं का उत्पादन 3,533 प्रति हेक्टेयर था. फिर, 2019-20 में गेहूं के उत्पादन में ताबड़तोड़ गिरावट दर्ज की गई थी. 2019-20 में गेहूं के उत्पादन में 3,421 हेक्टेयर का उत्पादन दर्ज किया गया था. बता दें कि पिछले वर्ष की तुलना में गेहूं के उत्पादन में 3.41 फीसद की कमी दर्ज की गई थी.  

सरकार के लिए चिंता का सबब

वहीं, केंद्रीय कृषि मंत्रालय के इन आंकड़ों से केंद्र सरकार चिंतित है। सरकार के मुताबिक, अगर गेहूं के उत्पादन में इसी तरह गिरावट दर्ज की जाती रही तो इसका नकारात्मक असर आगामी 2022 तक किसानों की आय दोगुना करने के लक्ष्य पर नकारात्मक असर पड़ सकता है. चूंकि, इसके लिए सरकार को गेहूं के समर्थन मूल्य के लिए अधिक कीमत अदा करनी होगी, जिसके चलते सरकार  की पूरी कार्ययोजना प्रभावित हो सकती है, लिहाजा अब सरकार अपनी हर उस कोशिश को अमलीजामा पहना रही है, जो गेहूं के उत्पादन बढ़ाने की दिशा में कारगर साबित हो सके.  

इन कारणों से घटता है गेहूं का उत्पादन

गेहूं के उत्पादन के लिए मौसम के उचित तापमान का होना अनिवार्य है. गेहूं के उत्पादन के लिए मौसम का शुष्क होना अनिवार्य है मगर जब मौसम में गर्मी पैदा होती है, तो गेहूं के उत्पादन में गिरावट दर्ज की जाती है. वहीं, कार्बन उत्सर्जन के गैस के बढ़ने व प्रदूषण का भी गेहूं के उत्पादन पर असर पड़ता है.

English Summary: Is Farmers Income May be Double till 2022 Published on: 06 March 2021, 11:50 AM IST

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