किसानों की आय बढ़ाने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है कि उनके द्वारा उगाई गई फसलों को देश के कोने-कोने तक पहुंचाया जाए. हालांकि, इसके लिए केंद्र और राज्य सरकार द्वारा तमाम प्रयास किए जा रहे हैं.
इसी कड़ी में किसानों के लिए केंद्र सरकार ने भारतीय रेल किसानों की शुरुआत की है. इसके जरिए किसानों की फसल को देश के कोने-कोने तक पहुंचाने के लिए निरंतर प्रयास किया जा रहा है. इसके चलते ही उत्तर रेलवे बाजरा किसान के उत्पाद के परिवहन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है.
दरअसल, बाजारा किसानों के लिए एक अच्छी खबर है कि उत्तर रेलवे के दिल्ली मंडल ने 20 रेकों में लगभग 65.833 मीट्रिक टन बाजरा का लदान किया है. इसे देश के अलग-अलग राज्यों में पहुंचाया जाएगा.
11 अप्रैल 2021 को हुई थी शुरुआत
उत्तर रेलवे का दिल्ली मंडल बाजरा किसानों की उपज को देश के कोने-कोने तक भेजने में काफी मदद कर रहा है. इसके लिए दिल्ली मंडल ने 11 अप्रैल 2021 को कैथल से तमिलनाडु के चावडिपलियाम के लिए बाजरा के पहले रेक के लदान की शुरुआत की. इसके साथ ही परिवहन में एक नया मुकाम हासिल किया है. इस पहल से छोटे, मध्यम और बड़े किसानों को काफी मदद मिलती है. इसकी मदद से किसान अपनी उपज को न्यूनतम समय में देश के कोने-कोने के बाजारों में भेज पाते हैं.
किसानों को प्रेरित करने के लिए उठाया कदम
रेलवे की इस पहल से दूर-दराज के लोगों तक पोषण संबंधी आवश्यकताओं की पूर्ति की जा रही है. इसके साथ ही रेलवे का पूरा प्रयास है कि अधिक से अधिक किसान इससे जुड़ पाएं. बता दें कि अब तक दिल्ली मंडल ने कैथल, झज्जर, रोहतक, गोहाना और पलवल समेत अन्य लदान स्थपलों से 20 रेकों का लदान किया है. इन्हें तमिलनाडु और कर्नाटक के अलग-अलग क्षेत्रों में पहुंचाया गया है. इन 20 रेकों में बाजरा का कुल टन भार 65.833 मीट्रिक टन रहा है.
रेलवे पीसमील लोडिंग को भी बढ़ावा
महत्वपूर्ण बात यह भी है कि रेलवे पीसमील लोडिंग को भी बढ़ावा दे रहा है, ताकि छोटे या मंझोले किसान भी 5 से 10 वैगन की बुकिंग कर सकें. इस तरह किसान अपनी उपज को जल्द ही भेज पाएंगे. रेलवे की यह नीति पूरे देश को कवर कर रही है.
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