मछली पालन में झारखंड (Fish Farming in Jharkhand) तेज़ी से आगे बढ़ रहा है. यहां के किसान मछली पालन से अच्छी कमाई कर रहे हैं.इतना ही नहीं, यहां के किसान अब मछली पालन के पारंपरिक तरीके को छोड़कर आधुनिक तकनीक को अपना रहे हैं और अधिक मछली पैदा कर राज्य में मछली उत्पादन (Fish Farming Business) को बढ़ावा दे रहे हैं. वे झारखंड के रामगढ़ जिले में स्थित पतरातू बांध (Patratu Dam) में भी काफी मात्रा में मछलियां पैदा करते हैं. इससे वह अच्छी खासी कमाई (Fish Farming Profit) कर रहे हैं. मछली पकड़ने में शामिल सभी लोग यहां विस्थापित हैं जो बांध बनने के बाद विस्थापित हुए थे.
कैसे किया जाता था मछली पालन (How was fish farming done)
पतरातू बांध 2400 एकड़ क्षेत्र में फैला हुआ है और यहां साल भर पानी रहता है. जल क्षेत्र विशाल होने के कारण यहां मछली पालन की अपार संभावनाएं हैं. इसके अलावा ऊंचे-ऊंचे पहाड़ जंगलों से घिरे हुए हैं, जिसके कारण यहां प्रतिदिन हज़ारों की संख्या में पर्यटक भी आते हैं. यहां भी पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं.
स्थानीय मछली पालकों का कहना है कि 1975 में बांध में मछली पालन के लिए टेंडर हुआ था. बांध के मछुआरे यहां डाक के जरिए पहुंचते थे. उस समय किसानों के पास मछली पालन का पारंपरिक तरीका ही था. वहां खुले में मछली पकड़ने का काम किया जाता था.
केज कल्चर की कैसे हुई शुरुआत (How the Cage Culture Started)
इसके बाद राज्य में मछली पालन (Fish Farming) की संभावनाएं बढ़ीं और नई तकनीक भी आई. वहीं विभाग की ओर से काम शुरू किया गया ताकि अधिक से अधिक किसानों को इसका लाभ मिले.
वर्ष 2013 में यहां पहली बार केज कल्चर से मछली पालन (Fish Farming) की शुरुआत की गई थी. जो किसान यहां मछलियां पकड़कर उससे गुजारा करते थे, उन्होंने मिलकर अपनी कमेटी बनाई और मछली पालन कर रहे हैं.
वर्तमान में आठ सोसायटियां केज कल्चर के जरिए बांध में मछली पालन कर रही हैं.इसके अलावा कुछ समितियां RRF में मछली पालन भी करती हैं.
वर्तमान में बांध में 150 पिंजरे से अधिक हैं. इसके अलावा खुले में रहने वाले विभाग द्वारा हर साल 5-10 लाख मछली के बीज बांध में डाले जाते हैं. इससे यहां के आस-पास के 12-13 गांवों के 6000 से ज्यादा लोगों की रोजी-रोटी चलती है. इस बांध से प्रतिदिन 4 क्विंटल मछली का उत्पादन होता है.
मछली पालन से बढ़ा रोजगार (Fish Farming Increased Employment)
पतरातू बांध मत्स्य सहयोग समिति लाबागा के अध्यक्ष संजय (Sanjay, President of Patratu Dam Fisheries Cooperation Committee Labaga) का कहना है कि उन्होंने 2007 में समिति बनाई थी. उनकी समिति में 41 सदस्य हैं. वह बांध के अलावा स्थानीय तालाब में मछलियां भी पालते हैं.
उन्होंने बताया कि मत्स्य विभाग में शामिल होने के बाद उन्होंने डोरंडा में 10 दिन का प्रशिक्षण लिया था. इसके बाद उन्हें 2013 में आठ पिंजरे मिले.
फ़िलहाल में उनके पास 60 पिंजरे हैं. तेलपियन और पंगास मछली मुख्य रूप से बांध में पाले जाते हैं. इसके अलावा RRF में रेहु, कतला और पहाड़ी मछलियों को पाला जाता है.
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