हरियाणा के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री ओमप्रकाश धनखड़ ने कहा कि यदि किसानों को अपनी आय में बढौतरी करनी है तो उन्हें कृषि के साथ-साथ उद्यमशील होना होगा और अपने उत्पाद की बिक्री के लिए बाजार में विपणन का कार्य करना होगा। धनखड़ सीआईआई के सौजन्य से आयोजित 10वें प्रगतिशील किसान कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में हरियाणा और पंजाब के प्रगतिशील किसानों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि हरियाणा में अब प्रगतिशील किसानों को एग्री लीडर कहा जाने लगा है और ऐसे किसान अन्य किसानों के लिए एक प्रेरणास्रोत का कार्य कर रहे हैं। हरियाणा में दो बार एग्री-लीडरशीप सम्मिट आयोजित की जा चुकी है जिसमें राज्यभर के हजारों व लाखों किसानों ने भाग लिया है और कृषि की नई-नई तकनीकों की जानकारी हासिल की है। हरियाणा सरकार ने ऐसे एग्री लीडरों को पुष्प रतन, मत्स्य रतन, दूग्ध रतन, पोल्ट्री रतन इत्यादि पुरस्कारों से भी सम्मानित किया है।
यदि किसान खेती के साथ-साथ उद्यमशील खेती की ओर जाएंगें तो वे समृद्ध हो सकते हैं, क्योंकि पंरापरागत खेती में कई बाधाएं हैं जिनसे किसान को ज्यादा लाभ नहीं हो सकता है। उन्होंने कहा कि किसानों को अपने खेत का उत्पाद सीधे बाजार में उपभोक्ताओं के लिए उपलब्ध करवाना होगा क्योंकि बिचौलियों के बीच में आ जाने से किसान को लाभ नहीं मिल पाता है इसलिए किसानों को चाहिए कि वे अपना बाजार स्वयं खड़ा करें और अपने उत्पाद को स्वयं ब्रांड बनाकर बेचें ताकि उनका उत्पाद सीधा उपभोक्ता के पास किसान के माध्यम से पहुंचे। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि जिस प्रकार से दुकान में दुकानदार अपने ग्राहक को पटाने के लिए विभिन्न प्रकार की वस्तुओं की ब्रांडिग करता है ठीक उसी प्रकार किसानों को भी अपने उत्पाद की ब्रांडिंग करनी होगी और कुछ शब्दावलियों को प्रयोग करके इस कार्य को किया जा सकता है। उन्होंने किसानों से रूबरू होते हुए कहा कि अमेरिका और दूसरे देशों में एक किसान के पास तीन से चार हजार एकड़ का एक सिंगल खेत होता है परंतु हमारे यहां पर किसानों के पास इतनी भूमि नहीं होती है इसलिए हमारे किसानों को चाहिए कि वे अपने पूरे गांव की भूमि का एक विशेष ब्रांड बनाएं और बिक्री के लिए सीधा बाजार में उपलब्ध करवाएं ताकि उनके गांव की विशेष पहचान भी बनें और उपभोक्ताओं को भी वह वस्तु सीधे प्राप्त हो सकें। उन्होंने इस कार्यक्रम में दिखाई गई एक प्रस्तुति का जिक्र करते हुए कहा कि जिस प्रकार से प्रस्तुति में दिखाया गया है कि नई तकनीक व नवीनीकरण से ही आगे बढ़ा जा सकता है, ठीक उसी प्रकार किसानों को बाजार में अपने उत्पाद की पहचान बनाने के लिए नवीनतम तकनीक का सहारा लेना होगा और तभी वे बाजार में अपनी पकड़ बना पाएंगें।
धनखड़ ने कहा कि अभी हाल ही में केन्द्र सरकार के कृषि मंत्री के साथ सभी राज्यों के कृषि मंत्रियों की एक बैठक हुई थी जिसमें उन्होंने सिफारिश की है कि प्रत्येक राज्य में एग्री बिजनेस स्कूल या कालेज की स्थापना की जाए ताकि किसानों के बच्चों को खेती के उत्पाद बेचने के गुरू सिखाए जा सकें। उन्होंने कहा कि इस बैठक में केन्द्र सरकार ने एक प्रारूप तैयार किया है कि किसान भी अपनी मंडी लगा सकता है और अपना सामान बेच सकता है। उन्होंने कहा कि अब किसानों को अपना सामान बेचने में किसी भी प्रकार की कोई दिक्कत नहीं आने वाली है। उन्होंने कहा कि किसानों को बाजार की नब्ज पकडऩी होगी और क्रोप प्रोडक्शन मैनेजमेंट को अपनाना होगा। उन्होंने उदाहरण देते हुए किसानों से कहा कि बाजार की मांग के अनुसार ही हमें अपने खेतों की क्यारियों में फल या सब्जी का उत्पादन करना होगा। इसी प्रकार, हरियाणा व पंजाब के किसान अपने उत्पाद को दुबई और मिडल-ईस्ट जैसे देशों में पहुुंचा सकते हैं क्योंकि यहां पर हवाई अड्डे भी हैं जो सीधी फलाईट से वहां यह उत्पाद पहुंंचाया जा सकता है। उन्होंने किसानों से अपील करते हुए कहा कि किसान पर कोई भी कृपा नहीं कर सकता है इसलिए किसानों को चाहिए कि वे अपने अधिकार जागरूकता, उद्यमशीलता, तकनीक व नवीनीकरण के माध्यम से प्राप्त करेंं क्योंकि मनुष्य में बहुत ऊर्जा होती है और वह अपनी इच्छा व ऊर्जा के बल पर बडे से बड़ा बदलाव कर सकता है। इसलिए किसानों को चाहिए कि वे बाजार के क्षेत्र पर विशेष ध्यान दें। उन्होंने कहा कि उनकी इच्छा है कि हरियाणा व पंजाब का किसान एक लाख रुपए प्रति एकड़ की आमदनी करें। उन्होंने कहा कि हरियाणा के बहादुरगढ़ की एक लडक़ी, जो एमबीए उत्तीर्ण है, अपने 14 एकड़ खेत से 1.5 करोड़ प्रति वर्ष की आमदनी प्राप्त करती है।
उन्होंने कहा कि जब कृषि में तकनीक का उपयोग होगा तो 25 प्रतिशत पानी अपने ही कृषि में कम लगेगा, जिससे पानी की अच्छी बचत होगी। श्री धनखड़ ने किसानों से कहा कि वे बेचना सिख लें, बाजार को पहचान लें। इस मौके पर धनखड़ ने प्रगतिशील महिला किसान कृष्णा यादव और प्रगतिशील किसान सरदार गुरप्रीत सिंह शेरगिल को स्मृति चिन्ह, प्रमाण-पत्र व शॉल भेंटकर सम्मानित किया। इसी प्रकार, उन्होंने बीएस सचिन, रवि हेगड़े, राजेश ग्रोवर, संजीव निगम, जीएस कलकट, मंजीत सिंह कंग, गुरमीत सिंह भाटिया को भी स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। इस मौके पर कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री ओ पी धनखड़ को भी स्मृति चिन्ह व शॉल भेंट कर सम्मानित किया। पंजाब कृषि विश्वविद्यालय के पूर्व कुलगुरू, प्रोफेसर मनजीत सिंह कांग ने कहा कि कृषि को स्थायी बनाने के लिए एकमात्र उपाय है परिशुद्ध खेती। सटीक खेती को कस्टमाइज्ड फार्मिंग के रूप में परिभाषित किया जा सकता है ताकि सही समय पर सही इनपुट का इस्तेमाल किया जा सके। इससे लागत कम होगी और कृषि आय में वृद्धि हो। कृषि को स्थायी बनाने के लिए सटीक कृषि पर ध्यान देना आवश्यक है। उन्होंने कृषि के विकास के लिए नैनो-उर्वरक और नैनो कीटनाशकों जैसे अन्य प्रकार के प्रौद्योगिकी का का सुझाव दिया। कृषि में प्रौद्योगिकी के विभिन्न अनुप्रयोगों का वर्णन किया। पंजाब किसान आयोग के पूर्व चेयरमैन जीएस कालकत ने किसानों की आमदनी में वृद्धि के लिए कृषि के आधुनिकीकरण को बढ़ावा देने के लिए आधुनिक प्रौद्योगिकी अपनाने और किसानों के लिए सरकारी सहायता की मांग की है।
सीआईआई पंजाब स्टेट काउंसिल के चेयरमैन गुरमीत सिंह भाटिया ने कहा कि 2022 तक किसानों की आमदनी को दोगुना करने के लिए प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के दृष्टिकोण को पूरा करने के लिए मुख्य क्षेत्रों में फसल उत्पादकता, पशुधन मूल्य में वृद्धि, जल प्रबंधन, बेहतर मूल्य प्राप्ति आदि के माध्यम से 10.5 की कृषि विकास दर की आवश्यकता है।
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