2021-22 मार्केटिंग वर्ष के दौरान चीनी मिलों ने 1 अक्टूबर से दिसंबर के पहले सप्ताह तक 9.39 लाख टन चीनी का निर्यात (Sugar exports 9.39 lakh tonnes) किया है. वहीं अखिल भारतीय चीनी व्यापार संघ (All India Sugar Trade Association) के एक व्यापरी ने कहा कि सुस्त वैश्विक मूल्य प्रवृत्ति को देखते हुए और स्टॉक बेचने की जल्दी में नहीं हैं. साथ ही AISTA ने एक बयान में कहा कि लगभग 4.68 लाख टन चीनी पारगमन में है.
AISTA हाइलाइट्स (AISTA Highlights)
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इसमें कहा गया है कि मिलों ने 2021-22 के विपणन वर्ष (Marketing year) में अब तक बिना सरकारी सब्सिडी के 33 लाख टन चीनी निर्यात (Sugar export) करने का अनुबंध किया है.
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AISTA के अनुसार, मिलों ने 1 अक्टूबर से 6 दिसंबर, 2021 तक कुल 9,39,435 टन चीनी का निर्यात किया है.
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वहीं मिलों ने 1 अक्टूबर से 9 नवंबर 2021 तक कुल 2,76,676 टन चीनी का निर्यात किया है.
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इस साल चीनी का निर्यात बिना सरकारी सब्सिडी के किया जा रहा है.
AISTA ने कहा, "भारतीय मिलें चीनी बेचने की जल्दी में नहीं हैं क्योंकि पिछली बिक्री अभी बाकी है. साथ ही, उन्हें मौजूदा वैश्विक कीमतें पसंद नहीं हैं, जिन्हें अधिक भारतीय बिक्री को आकर्षित करने के लिए बढ़ना होगा."
महाराष्ट्र ने किया अधिक निर्यात (Maharashtra made more exports)
सबसे अधिक निर्यात सौदे महाराष्ट्र में मिलों द्वारा किए गए हैं. इस राज्य में मिलों को भारी रसद समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. इस तरह रेलवे और सड़क दोनों मार्गों से परिवहन की गंभीर समस्याएं हैं.
UAE समेत अन्य देशों में भी हुआ निर्यात (Exports to other countries including UAE)
वहीं AISTA के मुताबिक, चीनी मिलों ने चालू विपणन वर्ष के अंतिम 40 दिनों में संयुक्त अरब अमीरात (United Arab Emirates) को अधिकतम शिपमेंट के साथ 2.76 लाख टन चीनी का निर्यात किया है.
अखिल भारतीय चीनी व्यापार संघ (AISTA) ने एक बयान में कहा, 1.44 लाख टन से अधिक चीनी शिपमेंट के अधीन है. इसमें कहा गया है कि मिलों ने 2021-22 के विपणन वर्ष में अब तक बिना सरकारी सब्सिडी के 18 लाख टन चीनी निर्यात करने का अनुबंध किया है.
अब तक किए गए कुल निर्यात में से संयुक्त अरब अमीरात के बाद बांग्लादेश (Bangladesh) 52,330 टन, सोमालिया (Somalia) में 24,960 टन और ईरान (Iran) 22,646 टन का निर्यात करता है.
क्यों धीमा पड़ा चीनी का निर्यात? (Why did sugar exports slow down?)
AISTA ने कहा, मिलों के शुरू होने में देरी के कारण 18 लाख टन चीनी के अनुबंध के बावजूद कच्ची चीनी का निर्यात धीमा है.
निर्यात ज्यादातर महाराष्ट्र और कर्नाटक की चीनी मिलों (Sugar Mills of Maharashtra and Karnataka) से हो रहा है. व्यापार निकाय ने कहा कि देश को विदेशी मुद्रा की कठिनाइयों का सामना करने के बावजूद श्रीलंका (Sri Lanka) को 18,290 टन चीनी का निर्यात हुआ है.
उत्तर भारत और बिहार (North India and Bihar) में चीनी की मौजूदा कीमत 35,500-37,500 रुपये प्रति टन है और इसलिए उत्तर भारत में मिलों द्वारा निर्यात की जाने वाली चीनी की मात्रा निरर्थक है.
पिछले वर्ष की कहानी
विपणन वर्ष 2020-21 के दौरान देश ने रिकॉर्ड 7.23 मिलियन टन स्वीटनर का निर्यात किया था. अधिकतम शिपमेंट सरकारी सब्सिडी की मदद से किए गए थे.
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