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चीनी की आर्थिक मिठास क्या उसके उत्पादन से कम हो जाएगी ?

चीनी की मिठास क्या कम हो जाएगी. अभी हाल ही में (इस्मा) भारतीय चीनी मिल संघ ने 31 दिसम्बर 2018 तक के जो आंकड़े दिए हैं उनसे तो यही पता चलता है कि महाराष्ट्र और कर्नाटक ने चीनी उत्पादन के लिए अपनी मिलों का परिचालन कुछ जल्दी शुरू कर दिया था.

चीनी की मिठास क्या कम हो जाएगी. अभी हाल ही में (इस्मा) भारतीय चीनी मिल संघ ने 31 दिसम्बर 2018  तक के जो आंकड़े दिए हैं उनसे तो यही पता चलता है कि महाराष्ट्र और कर्नाटक ने चीनी उत्पादन के लिए अपनी मिलों का परिचालन कुछ जल्दी शुरू कर दिया था.

भारतीय चीनी मिल संघ (इस्माद्ध) ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। इस्मा ने बयान में कहा कि 31 दिसम्बर 2018 तक देश में 501 चीनी मिलों ने परिचालन करके 1.10 करोड़ टन चीनी का उत्पादन किया है। इसकी तुलना में 31 दिसम्बर 2017 तक 505 चीनी मिलों ने 1.03 करोड़ टन का उत्पादन किया था।

देश का चीनी उत्पादन अक्टूबर से शुरू विपणन वर्ष 2018-19 की पहली तिमाही में सात फीसद बढ़कर 1.10 करोड़ टन पर पहुंच गया। इसकी वजह महाराष्ट्र और कर्नाटक की चीनी मिलों का जल्द परिचालन शुरू करना है।

महाराष्ट्र और कर्नाटक की चीनी मिलों ने इस साल जल्द पिराई शुरू कर दी है। इससे विपणन वर्ष 2018-19 की पहली तिमाही (अक्टूबर-दिसम्बर) में उत्पादन बढ़ा है। इससे पहले संघ ने कहा था कि चीनी उत्पादन 2017-18 में 3.25 करोड़ टन से घटकर 2018-19 में 3.15 करोड़ टन रहने का अनुमान है।

चीनी की सालाना घरेलू मांग 2.60 करोड टन है। आंकड़ों के मुताबिक उत्तर प्रदेश की चीनी मिलों ने अक्टूबर-दिसम्बर 2018 के दौरान 31 लाख टन चीनी का उत्पादन किया। एक साल पहले इसी अवधि में यह आंकड़ा 33 लाख टन था।

अनुमानद मिलों के जल्द पेराई शुरू करने से बढ़ा है. गन्ने की पिराई देश भर में 510 मिलों में चल रही है. इस्मा के अनुसार इस दौरान महाराष्ट्र में चीनी उत्पादन 38.39 लाख टन से बढ़कर 43.98 लाख टन हो गया है।

English Summary: Economic crises of sugar production Published on: 05 January 2019, 06:04 PM IST

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