भारत में डेयरी उद्योग किसानों से लेकर आम आदमी तक, सभी के लिए सबसे ख़ास है. लेकिन भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के तहत राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान (एनडीआरआई) की जांच में खुलासा हुआ कि लॉकडाउन के चलते भारत में बहुत से किसान समय पर अपने पशुओं का गर्भाधान कराने में असफल रहे. एक आंकडे के अनुसार, देश में लगभग 34 प्रतिशत प्रजनन योग्य गो वंश देश में बंद पड़ी सेवाओं के चलते कृत्रिम गर्भाधान से वंचित रह गए थे. जिसके चलते डेयरी सेक्टर से जुड़े लोगों को सबसे बड़ा घाटा हुआ.
11 राज्यों में किया गया सर्वेक्षण
इस जानकारी को जुटाने के लिए भारत के कुल 11 राज्यों में सर्वेक्षण किया गया था. इस सर्वेक्षण में पता चला कि जब भारत में लॉकडाउन चल रहा था वह समय गायों के गर्भाधान का सबसे सही समय होता है. लेकिन लॉकडाउन के चलते इसमें बड़ी गिरावट देखने को मिली.
आपूर्ति श्रृंखला टूटने से हुआ बड़ा नुकसान
इस रिपोर्ट की जांच में जब इससे संबधित अधिकारीयों से बात की गई तो उनके अनुसार यह गिरावट जमें हुए सीमन का स्टॉक ख़त्म हो जाने के कारण हुई. दरअसल, पशुओं में कृत्रिम गर्भाधान के लिए सीमन सप्लाई को पूरा करने के लिए एक श्रृंखला बनी हुई होती है. जिसके माध्यम से सभी जिलों में कृत्रिम गर्भाधान हेतु सीमन की सप्लाई की जाती है. लेकिन लॉकडाउन के चलते यह श्रृंखला टूट गई और कई जगह सीमन के स्टोर ख़त्म हो गए. जिसका परिणाम यह हुआ कि समय पर पशुओं का कृत्रिम गर्भाधान नहीं हो सका और इसका सीधा प्रभाव डेयरी धारकों या दुग्ध उत्पादन पर पड़ा.
दोहरे नुकसान से जूझे पशुपालक
पशुपालकों को लॉकडाउन के चलते केवल दूध की ही हानि नहीं हुई, बल्कि गर्भाधान नहीं होने के चलते उन्हें दोहरे नुकसान का सामना करना पड़ा. पशुओं का समय से गर्भधारण न हो पाने के चलते पशुओं ने कुछ समय बाद दूध में या तो कमीं कर दी या कुछ पशुओं ने दूध देना भी बंद कर दिया.
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लेकिन पशुपालकों को उनको पालने के लिए दिए जाने वाले चारे या अन्य खर्चों को लगातार वहन करना होता था. ऐसे समय में जिनके पास बड़ी संख्या में पशु थे. उनको बहुत ज्यादा नुकसान का सामना करना पड़ा.
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