इंडियन फार्मर्स फर्टिलाइजर कोआपरेटिव लिमिटेड (इफको) ने आज किसानों के लिए विश्व के पहले नैनो यूरिया (Nano urea ) तरल की शुरुआत की है. इसे सामान्य यूरिया के प्रयोग की तुलना में कम से कम 50% कमी लाने के उद्देश्य से तैयार किया गया है. गौरतलब है कि इसके 500 मिली की एक बोतल में 40,000 पीपीएम नाइट्रोजन होता है, जो सामान्य यूरिया के एक बैग के बराबर नाइट्रोजन पोषक तत्व प्रदान करेगा.
इंडियन फार्मर्स फर्टिलाइजर कोआपरेटिव लिमिटेड (इफको) ने आज किसानों के लिए विश्व के पहले नैनो यूरिया (Nano urea ) तरल की शुरुआत की है. इसे सामान्य यूरिया के प्रयोग की तुलना में कम से कम 50% कमी लाने के उद्देश्य से तैयार किया गया है. गौरतलब है कि इसके 500 मिली की एक बोतल में 40,000 पीपीएम नाइट्रोजन होता है, जो सामान्य यूरिया के एक बैग के बराबर नाइट्रोजन पोषक तत्व प्रदान करेगा.
#इफको ने आज अपनी 50वीं वार्षिक आम सभा की बैठक में अपनी प्रतिनिधि महासभा के सदस्यों की उपस्थिति में दुनियाभर के किसानों के लिए विश्व का पहला नैनो यूरिया तरल प्रस्तुत किया।#IFFCO के एमडी @drusawasthi जी ने इसे किसानों के लिए बड़ी सौगात बताया।#IFFCONanoUrea #IFFCONano #NanoUrea pic.twitter.com/hzmwfDSsJZ
— IFFCO (@IFFCO_PR) May 31, 2021
नैनो तरल यूरिया से जुड़ी 10 बातें
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नैनो यूरिया की 500 मिली की एक बोतल सामान्य यूरिया के कम से कम एक बैग (45 किलो) के बराबर काम करेगी.
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इफको ने किसानों के लिए 500 मिली नैनो यूरिया की एक बोतल की कीमत ₨ 240/- निर्धारित की है, जो सामान्य यूरिया के एक बैग के मूल्य से 10 प्रतिशत कम है.
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नैनो तरल यूरिया का पूरे देश में 94 से अधिक फसलों पर लगभग 11,000 कृषि क्षेत्र परीक्षण (एफएफटी) किया गया परीक्षण.
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इफको के मुताबिक नैनो तरल यूरिया का जिन 94 फसलों पर टेस्टिंग हुई उनकी उपज में औसतन 8 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है.
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नैनो यूरिया का विकास 'आत्मनिर्भर भारत' और 'आत्मनिर्भर कृषि' की तर्ज पर स्वदेशी और प्रोपाइटरी तकनीक के माध्यम से गुजरात के कलोल स्थित इफको नैनो जैवप्रौद्योगिकी अनुसंधान केन्द्र (एनबीआरसी) में किया गया है.
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मिट्टी में यूरिया के प्रयोग में कमी लाने की कोशिशों को मुकाम देगा ये नैनो यूरिया
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पोषक तत्वों के बेहतर उपयोग तथा मृदा, जल व वायु प्रदूषण को कम करने में सक्षम होने के कारण यह पौधों के पोषण के लिए एक टिकाऊ समाधान है.
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भूमिगत जल की गुणवत्ता सुधारने तथा जलवायु परिवर्तन के दिशा में भी कारगर
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इफको ने दावा किया है कि इसके परीक्षण के जिन 94 फसलों पर इस्तेमाल किया गया उनकी गुणवत्ता में सुधार हुआ है.
- यूपिया के मुताबले सस्ती होने से किसानों की लागत घटेगी और आमदनी बढ़ेगी, साथ ही लाने-ले- लाने (परिवहन और भंडारण) खर्च कम होगा.
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