भारत में गरीबों की गाय कही जाने वाली बकरी का पालन आमतौर पर पहले छोटे किसानों के द्वारा किया जाता था. हालांकि, अब इसे बिजनेस के तौर पर बड़े किसानों के द्वारा भी किया जाने लगा है. वहीं, वक्त के साथ बकरियों के दामों में काफी हद तक उतार-चढ़ाव देखने को मिलता है. जिससे इनका पालन कर रहे किसानों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है. इसी के मद्देनजर आईसीएआर-सीआईआरजी ने बकरी के मूल्यों पर स्थिरता बनाये रखने के लिए गैरसरकारी संगठन हेइफ़र इंडिया के साथ समझौता किया है. इस समझौते के मुताबिक बकरियों के उत्पादन को बढ़ाने, उनकी प्रजनन और स्वास्थ्य पर ध्यान केन्द्रित करने और उनके दामों को स्थिर रखने का प्रयास किया जाएगा.
मौजूदा स्थितियों को देखते हुए आईसीएआर-सीआईआरजी ने यह समझौता एक गैरसरकारी संगठन हेइफ़र इंडिया के साथ किया है. इसके लिए प्रस्तावित किए गए ज्ञापन समझौते पर दोनों ही तरफ से हस्ताक्षर भी हो चुके हैं.
6 अक्टूबर को मिली मंजूरी
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद - केंद्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान (ICAR-CIRG) ने इस समझौते के लिए एक गैर सरकारी संगठन हेइफ़र इंडिया के साथ हाथ मिलाया है. जिसके लिए दोनों ही संस्थाओं ने 06 अक्टूबर 2023 को ज्ञापन समझौते पर हस्ताक्षर भी किए. इस समझौते के अंतर्गत सरकार की मंशा बकरी पालन को बढ़ावा देने के साथ ही बकरी प्रजनन और स्वास्थ्य पर ध्यान देना है.
समझौते का मिशन उत्पादन में वृद्धि
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद - केंद्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान के अनुसार इस समझौते के बाद बकरि यों के उत्पादन में वर्तमान की अपेक्षा वृद्धि तो होगी ही इसके साथ ही कई तरह के नए ग्रामीण रोजगारों को भी बढ़ावा मिलेगा. आईसीएआर-सीआईआरजी के अनुसार बकरी पालन उद्योग से सबसे ज्यादा छोटे किसान जुड़े हुए हैं. यह उद्योग बहुत से किसानों की जीवन रेखा का भी काम कर रहा है. ऐसे में बकरियों की कीमतों में अस्थिरता इनके जीवन में कई तरह की परेशानियों को खड़ा करती हैं. लेकिन सरकार के इस समझौते के बाद बकरी पालन को और बढ़ावा दिया जा सकेगा.
किसानों और पशु चिकित्सकों को मिलेगा प्रशिक्षण
हेइफ़र इंडिया और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद - केंद्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान, दोनों ही छोटे किसानों और पशु चिकित्सकों को इस मुहिम का प्रमुख हिस्सा मानते हुए कई तरह के प्रशिक्षण प्रोग्रामों को चलाएंगे.
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जिसमें बकरी संरक्षण से जुड़ी जानकारियों को बारीकी से समझाया जायेगा. बकरी की सभी उन्नत नस्लों को भी बढ़ावा दिया जायेगा. जिससे किसानों को मोटा मुनाफा हो सके.
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