टमाटर की मांग देशभर में हमेशा बनी रहती है. साथ ही टमाटर के दाम (tomato price) भी बाजार में उच्च होते हैं. भारत के कई क्षेत्रों में टमाटर की खेती की जाती है, लेकिन सुंधामाता पर्वत क्षेत्र में टमाटर की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है. लेकिन अब सुंधामाता पर्वत पर टमाटर की खेती करने पर नेमाटोड कृमि ने रोक लगा दी है. देखा जाए तो पिछले कुछ सालों से सुंधामाता पर्वत क्षेत्र में टमाटर की पैदावार (Tomato production) लगातार कम होती जा रही है.
आपको बता दें कि, सुंधामाता पर्वत के कई क्षेत्रों पर कृमि ने अधिकांश जमीन में अपना फैलाव कर दिया है. इसके इस फैलाव के कारण किसान टमाटर व अन्य सब्जियों की खेती नहीं कर पा रहे हैं.
किसानों का कहना है कि हमने कई बार टमाटर व अन्य सब्जियों की बुवाई (sowing vegetables) की, लेकिन कृत्रि फसल को चट कर जाते हैं. ऐसा उनके साथ कई बार हुआ. जिसके चलते अब किसानों ने टमाटर की खेती करना बंद ही कर दिया है. सुंधामाता पर्वत के किसानों को मजबूरन दूसरी फसलों की खेती करनी पड़ रही है. जिससे उनको अधिक लाभ प्राप्त नहीं हो रहा है. टमाटर व सब्जियों की खेती से किसानों को अधिक लाभ प्राप्त होता था.
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जानें क्या है नेमाटोड (Know what is a nematode)
नेमाटोड एक प्रकार का फसल रोग है. जिसके लगने से फसल की जड़ों में गांठ बनना शुरू हो जाती है. इसके रोकथाम के लिए किसान कई प्रकार की रासायनिक दवाइयों का छिड़काव करते हैं, लेकिन इसका इस रोग पर कोई फायदा नहीं होता है.
कृमि से निजात पाने के लिए दिल्ली तक पहुंचे किसान (Farmers reached Delhi to get rid of worms)
किसान भाई अपनी इस परेशानी का हल ढूंढने के लिए कृषि विभाग (Agriculture Department) के अधिकारियों से कई बार गुहार लगाई, लेकिन फिर भी उन्हें नेमाटोड रोग से मुक्ति नहीं मिली. लेकिन किसान यहीं नहीं रुके वह इस रोग से मुक्ति पाने के लिए दिल्ली तक पहुंचे. लेकिन वहां से भी उन्हें इस रोग के बचाव का कोई हल नहीं मिला.
ऐसे सुंधामाता पर्वत क्षेत्र के किसानों ने थक हारकर टमाटर की खेती से मुख मोड़ लिया. जिससे किसान पारंपरिक खेती करने पर मजबूर हो गए. अब सुंधामाता पर्वत के ज्यादातर किसान पारंपरिक खेती करके अपना जीवन यापन कर रहे हैं.
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