सरसों तेल की ब़ढ़ती कीमतों से आम जनता अब बेहाल है. इनकी बढ़ती कीमतों पर कब रोक लगेगी. यह तो फिलहाल भविष्य के गर्भ में छुपा है, लेकिन पिछले कुछ दिनों से जिस तरह सरसों तेल की कीमतों में तेजी का सिलसिला जारी है, उससे आम जनता को अब कुछ समझ नहीं आ रहा है कि क्या किया जाए?
वहीं, आम लोगों की उम्मीद भरी निगाहें सरकार पर टिकी है, लेकिन अफसोस सरकार द्वारा अब तक उठाए गए कदम नाकाफी ही साबित हो रहे हैं. इस बीच केंद्र सरकार ने सरसों तेल की बढ़ती कीमतों पर जो कहा है, उसे बतौर आम जनता आपके लिए जानना जरूरी है. इस लेख में जानिएं तेल की बढ़ती कीमतों पर सरकार ने क्या कहा है?
सरसों तेल की कीमतें बढ़ने का कारण (Reason for rising mustard oil prices)
बता दें कि केंद्र सरकार ने सरलों तेल की बढ़ती कीमतों पर कहा कि स्थानीय स्तर पर जिस मात्रा में सरसों का उत्पादन किया जाता है, उससे यहां की जरूरतों की पूर्ति नहीं की जा सकती है, इसलिए हमें इस आपूर्ति को पूरा करने के लिए विदेशों से आयात करना पड़ता है. ऐसे में विदेशों से तेल आयात करने का खर्चा ज्यादा आने की वजह से तेल की कीमतों में इजाफा हुआ है.
यही एकमात्र वजह है, जिससे सरसों तेल की कीमत बढ़ रही है. तकरीबन 70 फीसदी तेल का आयात विदेशों से किया जाता है, जिससे इनकी कीमतों में तेजी आती है. अब ऐसे में सरकार इनकी बढ़ती कीमतों पर अंकुश लगाने के लिए क्या कुछ करती है. यह तो फिलहाल आने वाला वक्त ही बताएगा.
इस बारें में क्या कहा राज्य मंत्री ने (What did the Minister of State say about this?)
वहीं, ग्रामीण विकास तथा उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण राज्य मंत्री साध्वी निरंजन के अनुसार मूंगफली तेल, सरसों तेल, वनस्पति, सोयाबीन तेल, सूरजमुखी तेल और पामोलिन की खुदरा घरेलू कीमतों (23 जुलाई 2021 की स्थिति के अनुसार) में क्रमशः 19.16, 39.05, 44.65, 47.40, 50.16 और 44.51 प्रतिशत की वृद्धि हुई. राज्य मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति ने एक सवाल के लिखित जवाब में राज्यसभा को यह जानकारी दी.
तेल के उत्पादन में क्या भारत होगा आत्मनिर्भर (Will India be self-sufficient in the production of oil?)
इसके साथ ही भारत को तेल उत्पादन में आत्मनिर्भऱ बनाने की कोशिश लगातार जारी है. वर्तमान में ऐसी कई योजनाएं प्रभावी हैं, जो कि तेल के उत्पादन को बढ़ाने की दिशा में शुरू की गई थी. जिसमें से एक किसानों भाइयों को मुफ्त में तिलहन के बीज देने की योजना भी शामिल है. बहरहाल, इन सभी योजनाओं का तेल के उत्पादन पर क्या कुछ असर पड़ता है. यह तो फिलहाल आने वाला वक्त ही बताएगा. ऐसे वक्त में जब कई अनाजों के उत्पादन में भारत आत्मनिर्भर हो चुका है, तो तिलहन के उत्पादन में भारत का आत्मनिर्भर ना होना किसी विडंबना से कम नहीं है.
हालांकि, केंद्र सरकार तेल की कीमतों को कम करने के लिए अपनी तरफ से तमाम प्रयास कर रही है. विगत दिनों सरकार ने सरसों तेल की कीमतों को कम करने के लिए कच्चे पाम तेल पर शुल्क में 5 प्रतिशत तक की कटौती की है, जो आगामी 31 सितंबर 2021 से प्रभावी होने जा रही है.
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