अप्रैल माह की शुरुआत हो चुकी है.रबी की लगभग फसलें कट चुकी है और जो बाकि है उनकी कटाई होने वाली है. आज दिल्ली पूरे एनसीआर में बारिश हुआ. इसके वजह से कई किसानों की फसलें बर्बाद भी हुई होंगी। बारिश की वजह से जो फसलें बर्बाद हुई या फिर जो नुकसान हुआ है. उसकी भरपाई हम कम खर्चे पर और कम अवधि वाली फसलें लगा कर कुछ हद तक कम कर सकते है. जैसे कि अप्रैल से जुलाई माह के बीच लौकी, तोरई, टमाटर, बैगन, लोबिया और मेंथा जैसी सब्जियों की खेती कर.
बारिश की वजह से हमेशा किसानों को घाटे का सामना करना पड़ता है क्योंकि उनकी गेहूं, दलहन और तिलहन मिलाकर कुल 26.62 लाख हेक्टेयर से भी ज्यादा फसल नष्ट हो जाती है. ऐसी समस्याओं को देखते हुए कृषि विशेषज्ञों ने किसान को कम समय में ज्यादा उपज देने वाली फैसले लगाने की सलाह दी है.
वैज्ञानिकों की
सलाह मक्के की फसल
किसान इस माह में मक्के की पाइनियर(Pioneer) -1844 किस्म की बुवाई कर सकते हैं. यह किस्म मक्के की दूसरी किस्मों के मुकाबले में कम समय के अंतराल में अच्छी पैदावार भी देती है.
मूंग की फसल
किसान इस माह में सम्राट किस्म की मूंग की बुवाई कर सकते हैं। यह मूंग 60 से 65 दिनो में ही तैयार हो जाता है और डेढ़ से दो कुन्तल प्रति बीघा के हिसाब से मूंग की पैदावार होती है. इसमें किसानों का प्रति बीघा कुल खर्च सिर्फ 400-450 रुपए आता है.
उड़द की फसल
इस माह में उड़द की पंतचार किस्म की बुवाई कर सकते है. यह किस्म 60-65 दिनों में ही तैयार हो जाती है और प्रति बीघा में ये एक से डेढ़ कुंतल की पैदावार प्राप्त होती है. इसमें प्रति बीघे कुल खर्च 250-3000 रुपए तक आता है.
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