देश में सरकार किसानों की आय को दुगना करने के लिए काफी प्रयास कर रही है. इसी दिशा में उत्तर प्रदेश के बांदा कृषि विश्वविद्यालय एवं प्रौद्रयोगिकी ने एक और कदम बढ़ाया है. दरअसल इस विश्वविद्यालय में कम समय में अधिक उत्पादन और लंबे समय तक भंडारण किए जा सकने वाले प्याज की नई किस्म को विकसित किया है. इस प्याज की नई किस्म का नाम लाइन -883 रखा गया है. बता दें कि बांदा कृषि एवं प्रौद्योगिकी ने इससे पहले एग्री फाउंड डार्क रेड प्रजाति को विकसित करने का कार्य किया था. यह प्रजाति बुदेंलखंड के किसानों के लिए काफी ज्यादा प्रचलित होती जा रही है.
इस प्रजाति की विशेषता
इस प्रजाति की खास बात यह है कि इसकी पैदावार 110 के बजाय 83 दिन में ही हो जाती है. इसकी उपज प्रति हेक्टेयर 300 से 350 क्विंटल होती है. इसके साथ ही इसको 80-90 दिनों तक शीतगृह में रख सकते है. वर्तमान में केवल 20 दिन का ही भंडारण कर सकते हैं.
400 किसानों से उत्साहजनक नतीजा
देश के अलग-अलग हिस्सों जैसे - उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, झारखंड, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, राजस्थान और कर्नाटक के 400 किसानों को प्रयोग के तौर पर दिए गए बीजों का परिणाम काफी उत्साहजनक रहा है. विश्वविद्यालय ने फसल वर्ष में उत्पादन के लिए यह बीज दे दिया है. विश्वविद्यालय का दावा है कि यह प्रजाति बुदेलखंड, दक्षिण भारत समेत अधिक जलावायु वाले क्षेत्रों हेतु काफी आसान है.
बांदा में नर्मी
दरअसल नासिक कृषि अनुसंधान केंद्र में तैनाती के दौरान लाइन -883 प्रजाति पर काम शुरू किया गया था. डेढ़ साल पहले यह विश्वविद्यालय ट्रांसफर हो गया था. बांदा की नर्सरी में इसके बीज को तैयार किया गया है. इस प्रजाति के गुणधर्म का मूल्यांकन किया गया है जिसके उत्साहजनक परिणाम मिले हैं. एक बीघा खेत में तीन किलोग्राम बीज लगेगा. चूंकि खरीफ का सीजन जब आता है तब प्याज महंगी होती है. यह बुंदेलखंड के लिए काफी ज्यादा वरदान साबित हो रही है. इससे किसानों को आने वाले समय में काफी अच्छा फायदा मिलने की उम्मीद है और किसानों की आमदनी को बढ़ाने के लिए यह किस्म काफी ज्यादा महत्वपूर्ण है.
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