प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने वर्ष 2017-18 के लिए किसानों के ब्याज हेतु अनुदान योजना (आईएसएस) को अपनी मंजूरी दे दी है। इससे किसानों को केवल 4% वार्षिक ब्याज दर पर 1 वर्ष के भीतर भुगतानयोग्य अधिकतम 3 लाख रुपये तक की लघुकालिक फसल ऋण प्राप्त करने में मदद मिलेगी। सरकार ने इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए 20,339 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है। अपनी निजी निधि के इस्तेमाल करने वाले सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक, निजी क्षेत्र के बैंक, सहकारी बैंक और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को तथा क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक, सहकारी बैंक के वित्तपोषण के लिए नाबार्ड को ब्याज अनुदान दिया जाएगा। ब्याज अनुदान योजना 1 वर्ष के लिए जारी रहेगी। नाबार्ड तथा भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा इसे कार्यान्वित किया जाएगा।
इस योजना का उद्देश्य देश में कृषि उत्पादकता और उत्पादन पर जोर देने के लिए किफायती दर पर लघुकालिक फसल ऋण के लिए कृषि ऋण उपलब्ध कराना है।
इस योजना की मुख्य विशेषताएं निम्नानुसार हैं:
ए) केंद्र सरकार वर्ष 2017-18 के दौरान अधिकतम 1 वर्ष के लिए अधिकतम 3 लाख रुपये के लघुकालिक फसल ऋण का समय पर भुगतान करने वाले सभी किसानों को प्रतिवर्ष 5% ब्याज अनुदान देगी। इस तरह किसानों को केवल 4% ब्याज देना होगा। यदि किसान समय पर लघुकालिक फसल ऋण का भुगतान नहीं करता है तो वह उसे 2% ब्याज अनुदान ही मिलेगा।
बी) केंद्र सरकार वर्ष 2017-18 के लिए ब्याज अनुदान के रूप में लगभग 20,339 करोड़ रुपए उपलब्ध कराएगी।
सी) ऐसे लघु और सीमांत किसानों को राहत प्रदान करने के क्रम में, जिन्होंने अपने उत्पाद के फसल पश्चात भंडारण के लिए 9 प्रतिशत की दर पर कर्ज लिया है, केंद्र सरकार ने अधिकतम 6 माह के कर्जे के लिए 2 प्रतिशत ब्याज अनुदान, यानी 7% की प्रभावी ब्याज दर को मंजूरी दी है।
डी) प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित किसानों को राहत प्रदान करने के लिए भुगतान राशि पर पहले वर्ष के लिए बैंकों को 2 प्रतिशत ब्याज अनुदान दिया जाएगा।
ई) यदि किसान समय पर लघुकालिक फसल ऋण का भुगतान नहीं करते हैं तो वह उपर्युक्त के स्थान पर 2 प्रतिशत ब्याज अनुदान के लिए पात्र होंगे।
प्रमुख प्रभाव:
कृषि क्षेत्र में अधिक उत्पादकता और कुल उत्पादन के लक्ष्य तक पहुंचने में ऋण सुविधा एक महत्वपूर्ण घटक है। ब्याज अनुदान से उत्पन्न विभिन्न बाध्यताओं को पूरा करने के लिए मंत्रिमंडल की और से 20,339 करोड़ रुपए की मंजूरी मिलने से किसानों को लघुकालिक फसल ऋणों के साथ-साथ फसल –पश्चात भंडारण सुविधा को पूरा करके देश के किसानों को एक महत्वपूर्ण आवश्यकता को पूरा करने में मदद मिलेगी। इस संस्थागत ऋण सुविधा से किसानों को गैर- संस्थागत ऋण स्रोतों से कर्ज प्राप्त करने की बाध्यता से मुक्त करने में मदद मिलेगी, जहां से वह अत्यधिक दरों पर कर्ज लेने के लिए बाध्य है।
क्योंकि, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत फसल बीमा फसल ऋणों की उपलब्धता से जुड़ी है, किसानों को फसल बीमा तक पहुंच कायम होने से उन्हें सरकार की दोनों किसान उन्मुखी पहलों से लाभ मिलेगा। बाजार में किसानों के उत्पादों के लिए लाभकारी मूल्य दिलाना उनके लिए लाभ सुनिश्चित करने के विचार से बाजार सुधार करना सरकार की एक महत्वपूर्ण पहल है। सरकार द्वारा अप्रैल 2016 में शुरु की गई इलेक्ट्रॉनिक राष्ट्रीय कृषि बाजार ( ई-नाम) का लक्ष्य किसानों को लाभांवित करने के लिए एक इलेक्ट्रॉनिक प्लेटफार्म उपलब्ध कराना और एक प्रतिस्पर्धी तरीके से कीमत संबंधी खोज में समर्थ बनाना है। जबकि किसानों को ऑनलाइन व्यापार के लिए सलाह दी जाती है, ऐसे में यह भी महत्वपूर्ण है कि उनके पास फसल पश्चात ऋण की उपलब्धता के भी विकल्प है, ताकि वे मान्यताप्राप्त भंडार गृहों में अपने उत्पादों का भंडारण कर सके। किसान क्रेडिट कार्ड धारक लघु और सीमांत किसानों के लिए अधिकतम 6 माह की अवधि के लिए ऐसे भंडारण पर 2 प्रतिशत की दर से ब्याज अनुदान पर ऋण उपलब्ध है। इससे किसानों को बिक्री के लायक बाजार ढूंढ कर अपना उत्पाद बेचने और संकटापन्न विक्रय करने से बचने में मदद मिलेगी। इसलिए, लघु और सीमांत किसानों के लिए अपना किसान क्रेडिट कार्ड चालू रखना आवश्यक है।
किसानों की आय बढ़ाने के प्रति सरकार की गहरी रुचि है। इसके लिए सरकार ने बीज से लेकर विपणन तक कई नई पहले शुरू की है। संस्थागत स्रोतों से मिलने वाले कर्जे से मृदा स्वास्थ्य कार्ड, इनपुट प्रबंधन, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना में प्रति बूंद अधिक फसल, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, ई-नाम आदि सरकार की ऐसी सभी पहलों की प्रतिपूर्ति होगी।
पृष्ठभूमि:
यह योजना वर्ष 2006-07 से चल रही है। इसके तहत, किसानों को अधिकतम 3 लाख रुपये का रियायती फसल ऋण 7 प्रतिशत ब्याज पर उपलब्ध कराया जाता है। इसमें 3% अतिरिक्त अनुदान का प्रावधान भी है। शीघ्र भुगतान के लिए ऋण प्राप्त करने की तिथि से 1 वर्ष के भीतर की अवधि है। संकटापन्न विक्रय की रोकथाम के उपाय के रूप में, किसान क्रेडिट कार्ड धारक लघु और सीमांत किसानों के लिए अधिकतम 6 माह के लिए निगोशिएबल वेयरहाउस रिसीट के तहत मान्यताप्राप्त भंडारगृहों में भंडारण के लिए फसल पश्चात ऋण सुविधा उपलब्ध है। वर्ष 2016 -17 के दौरान, लघुकालिक फसल ऋण के लिए 6,15,000 करोड़ रुपए के निर्धारित लक्ष्य को पार करके 6,22,685 करोड़ रुपए के ऋण प्रदान किए गए।
सरकार की और से विभिन्न बैंकों और सहकारी संस्थाओं को उनके द्वारा किसानों को 7% की रियायती दर पर लघुकालिक फसल ऋण उपलब्ध कराया जाता है। समय पर भुगतान करने की स्थिति में उन्हें 3% अतिरिक्त अनुदान दिया जाता है। प्रभावी तौर पर किसानों के लिए 4% ब्याज दर पर फसल ऋण उपलब्ध है। इस योजना में भंडारण विकास नियामक प्राधिकरण द्वारा मान्यताप्राप्त भंडारगृहों में भंडारण के लिए अधिकतम 6 माह तक फसल पश्चात संकटापन्न विक्री से बचने के लिए 7% की रियायती ब्याज दर सहित अन्य प्रावधान शामिल है। इससे किसानों को संस्थागत ऋण प्राप्त होता है और वे ऋण के गैर-संस्थागत स्रोतों से बचने में समर्थ हो पाते हैं, जहां वे निजी कर्जदाताओं द्वारा शोषण का शिकार होते हैं। वर्तमान वर्ष से लघुकालिक फसल ऋण के सभी खाते आधार से जुड़े होंगे।
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