मध्य प्रदेश सरकार (Madhya Pradesh Government) ने किसानों को शून्य प्रतिशत ब्याज पर कृषि ऋण (Agriculture loan at zero percent interest) देने की योजना को एक साल के लिए बढ़ाने का फैसला किया है.
होगा जीरो परसेंट इंटरेस्ट (There will be zero percent interest)
ऐसे ऋणों के लिए वर्ष 2022-23 के लिए 17 हजार करोड़ रुपए बांटने का लक्ष्य रखा गया है. चालू वित्त वर्ष में इस योजना के तहत 30 लाख किसानों ने लाभ उठाया है. इन किसानों को 24 दिसंबर 2021 तक 13 हजार 707 करोड़ रुपये का ऋण वितरित किया जा चुका है. जो किसान ईमानदारी से सरकारी पैसा समय पर लौटाते हैं उन्हें इससे काफी फायदा हो सकता है.
किसानों को होगी सुविधा (Farmers will have facility)
पिछले महीने ही वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए 500 करोड़ रुपये की सरकारी शेयर पूंजी देने का प्रावधान किया गया है. मार्कफेड (Madhya Pradesh State Cooperative Marketing Federation Limited) के पास इस राशि से खरीद और उर्वरक व्यवसाय (Fertilizer Business) के लिए बिना ब्याज के पैसा उपलब्ध कराने की सुविधा होगी. यह जानकारी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा सहकारिता पर आयोजित बैठक में दी गई है.
अन्य क्षेत्रों में भी बदलाव हैं संभव (Changes are possible in other areas as well)
मुख्यमंत्री ने कहा कि कृषि और पशुपालन (Agriculture and Animal Husbandry) के साथ-साथ नए क्षेत्रों में सहकारिता का प्रयोग किया जाए. मत्स्य पालन, बकरी पालन, ग्रामीण परिवहन सेवा, स्वास्थ्य क्षेत्र, पर्यटन, विभिन्न खाद्य उत्पादों के प्रसंस्करण में सहकारी समितियों के माध्यम से सकारात्मक बदलाव संभव है. सहकारी समितियों की पहुंच और व्यापक प्रभाव को समझते हुए इसके लिए एक रोडमैप तैयार करें. गैर-पारंपरिक क्षेत्रों में सहकारी समितियों का उपयोग सुनिश्चित करना आवश्यक है.
मुख्यमंत्री ने सहकारिता में कम्प्यूटर के प्रयोग को बढ़ावा देने पर जोर दिया है. इसी तरह बड़े शहरों में गृह निर्माण सहकारी समितियों की अनियमितताओं पर लगाम लगाने का कार्य भी पूछा गया है. उन्होंने कहा कि प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (PACS) को सक्षम बनाने के अभियान को गति देना भी आवश्यक है.
आत्मनिर्भर बनेगा मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh will become self-reliant)
उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश में सहकारिता से समृद्धि की भावना को स्वीकार कर नयी सहकारिता नीति तैयार की जाये.
जिन जिला सहकारी बैंकों का प्रदर्शन अच्छा नहीं है, उन्हें लगातार सरकारी शेयर पूंजी देने का कोई औचित्य नहीं है. अन्य राज्यों के सहकारिता क्षेत्र में किये गये अच्छे कार्यों को मध्यप्रदेश में लागू किया जाये. बड़े शहरों में गृह निर्माण सहकारी समितियों की अनियमितताओं को नियंत्रित किया गया है. लेकिन इसके लिए एक ऐसी दीर्घकालिक नीति बनाई जानी चाहिए जिसमें किसी भी व्यक्ति की मेहनत की कमाई बर्बाद न हो.
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