भारत में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा / MNREGA) लागू है, जो कि एक रोजगार गारंटी योजना है. इसे 25 अगस्त, 2005 को कानून द्वारा अधिनियमित कर पारित किया गया था. यह योजना प्रत्येक वित्तीय वर्ष में ग्रामीण परिवार के वयस्क सदस्यों को 100 दिन का रोजगार उपलब्ध कराती है.
ग्रामीण भारत में रहने वाले लोगों के लिए यह योजना शुरू की गई थी. इसी कड़ी में केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MNREGA) को लेकर एक बयान जारी किया है. जिसमें उन्होंने दिसम्बर में मनरेगा के तहत कम रोजगार दिए जाने की बात कही है, तो वहीँ ग्रामीण रोजगार मंत्रालय ने इन बात का उलंघन कर अपना बयान जारी किया है.
केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय की तरफ से जारी बयान (Statement Issued By The Union Ministry Of Rural Development)
केंद्रीय ग्रामीण रोजगार मंत्रालय ने एक ट्वीट में लिखा है कि कुछ रिपोर्टों में दिसंबर में महात्मा गांधी नरेगा योजना के तरत दिए जाने वाले रोजगार का आंकड़ा दिया गया है. रिपोर्टों में कहा गया है कि दिसंबर के 17 दिनों में जितना रोजगार दिया गया है, उतने हिसाब से यह अब तक का सबसे कम रोजगार है.
इस पर ग्रामीण विकास मंत्रालय ने कहा है कि मनरेगा के तहत मांग के हिसाब से रोजगार दिए जाते हैं. जहां मनरेगा में काम की मांग होगी और जितनी होगी, उसी हिसाब से रोजगार तैयार होता है. इसलिए महीने या दिन के आधार पर मनरेगा की तुलना करना इस अधिनियम के अनुसार नहीं है.
क्या कहा ग्रामीण विकास मंत्रालय ने (What Did The Ministry Of Rural Development Say)
ग्रामीण विकास मंत्रालय ने अगले ट्वीट में कहा है कि चालू वित्त वर्ष के दौरान लोगों की रोजगार मांग के अनुरूप 261 करोड़ से अधिक मानव दिवस सृजित किए गए हैं. वित्तीय वर्ष 2019-20 के दौरान अप्रैल से नवंबर की अवधि के लिए कुल 175 करोड़ से अधिक व्यक्ति-दिवस सृजित किए गए. यहां व्यक्ति दिवस को रोजगार से जोड़ा जाता है.
इससे पता चलता है कि एक वित्तीय वर्ष में कितने लोगों को कितने दिनों के लिए रोजगार मिलता है.
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