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इस आधुनिक कृषि युग में कृषि तकनीकों में हुए विकास ने दुनिया में भुखमरी को काफी हद तक कम कर दिया है. जहां पर यह अभी नहीं ख़त्म हो पाया है वहां पर सरकारी व गैर सरकारी संघठन मिलकर इसे ख़त्म करने का प्रयास कर रही है. भुखमरी भोजन का एक व्यापक अभाव है जो किसी भी प्राणी पर लागू हो सकता है. किसी क्षेत्र में भुखमरी के आने पर आमतौर पर कुपोषण, महामारी और मृत्यु दर में वृद्धि होने लगती है. जब किसी क्षेत्र में लम्बे समय तक वर्षा कम या नहीं होती है तो उस क्षेत्र को सूखा या अकाल प्रभावित क्षेत्र कहा जाता है. झारखंड के कुछ क्षेत्रों में इन दिनों कुछ ऐसी ही स्थिति बनी हुई है. जिसके मद्देनज़र झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास ने सूखाग्रस्त क्षेत्रों में रबी फसल के बीज पर सब्सिडी 50 फीसदी से बढ़ाकर 90 फीसदी करने का निर्देश दिया है. इसके साथ ही आपदा प्रबंधन से तत्काल विभिन्न राहत कार्यों के लिए 100 करोड़ रुपए उपलब्ध करने तथा सूखाग्रस्त क्षेत्र के समस्याओं को सुलझाने के लिए एडवांस प्लांनिग करने के लिए कहा हैं. ताकि फसल बीमा का लाभ किसानों को जल्द से जल्द मिल सके.
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मुख्यमंत्री रघुवर दास ने सभी जिलों के संभावित सूखाग्रस्त क्षेत्र के चिन्हितीकरण का काम पूरा करके 21 नवम्बर के पहले राज्य के सूखा प्रभावित क्षेत्रों पर एक पूरी रिपोर्ट भारत सरकार को भेजने को कहा हैं. इसके साथ ही सभी विभाग को सूखा प्रभावित इलाकों में अपने विभाग के द्वारा कराए जाने वाले कार्यों की योजना तथा वित्तीय मांग अगले कुछ दिनों के अंदर जमा कराने के साथ हर विभाग को निर्धारित समय के अंदर अपनी रिपोर्ट देंने को कहा है. सूखाग्रस्त क्षेत्र में सरकार के कामकाज का व्यापक प्रचार-प्रसार करें ताकि किसानों को और उस क्षेत्र के नागरिकों पर सूखे का प्रभाव न पड़े.
बिजली बिल
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री रघुवर दास ने प्रशासन को ये भी निर्देश दिया है कि सूखा से प्रभावित सभी क्षेत्रों के किसानों से ऋण, सहकारिता ऋण, राजस्व लगान, सेस, पटवन शुल्क, विद्युत शुल्क की वसूली मार्च 2019 तक न करे.
विवेक राय, कृषि जागरण
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