केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने नए कानूनों का पक्ष लेते हुए उसे खेती के लिए लाभकारी बतायाहै.कृषि मंत्री (Minister of Agriculture) ने कहा कि इससे कृषि क्षेत्र में सुधार होगा और किसानों को फायदा पहुंचेगा.
नए कानूनसे निकलेंगे रोजगार !
नरेंद्र तोमर ने एग्रोविजन फाउंडेशन द्वारा वर्चुअल माध्यम से आयोजित कृषि-खाद्य प्रसंस्करण समिट को संबोधित करते हुए कहा कि केंद्र सरकार की योजनाओं के कारण कृषि एवं खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में एक तरफ जहां कई नए रोजगार के अवसर निकलेंगें, वहीं निकट भविष्य में किसानों के पास भी कई विकल्प मौजूद होंगें.
किसानों को हुआ भ्रम- तोमर
इस आयोजन में किसानों को संबोधित करते हुए तोमर ने कहा कि ऐसा कैसे हो सकता है कि सरकार आधी आबादी की आजीविका के बारे में बिना सोचे कोई कानून ले आए, इस तरह की बाते केवल भ्रम है, जो विपक्ष के द्वारा फैलाई जा रही है. ग्रामीण अर्थव्यवस्था को देश की रीढ़ की हड्डी बताते हुए तोमर ने कहा कि हमारा देश आज जो कुछ भी है, वो बहुत हद तक कृषि के बदौलत है और इसी बात को ध्यान में रखते हुए सरकार ने नए कृषि कानून बनाकर आवश्यक वस्तु अधिनियम में महत्वपूर्ण संशोधन किए हैं. इन संसोधनों के बाद किसानों को लाभ मिलना तय है.
किसानों से बात जारी
किसानों के आंदोलन पर मीडिया को जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि "ऐसा नहीं है कि पूरे देश के किसान इस कानून के खिलाफ है. हां, कुछ किसान संगठनों को शिकायत है.इन किसान संगठनों से बात की जा रही है. उन्होंने कहा कि किसानों को बिल के फायदे समझाए जा रहे हैं और सरकार को उम्मीद है कि किसान जल्दी ही उनकी बात समझेंगें. तोमर ने मीडिया को बताया कि देश में 10 हजार नए एफपीओ बनने शुरू हो चुके हैं, जिसकी लागत 6,850 करोड़ रुपये से अधिक है. इन एफपीओ (FPO) की सहायता से किसानों की लागत कम होने के साथ ही नई टेक्नोलॉजी का उपहार भी मिलेगा.
गांवों तक पहुंच रही है तकनीक
तोमर ने बताया कि कृषि में निजी निवेश को बढ़ाया जाना जरूरी है, जिससे कोल्ड स्टोरेज जैसी सुविधाएं गांव-गांव तक पहुंच सके. वहीं जलवायु परिवर्तन के प्रश्न के जवाब में उन्होंने कहा कि मेगा फूड पार्क योजना के तहत इन कठिनाइयों को दूर करने की कोशिश की जा रही है.
किसानों का आक्रोश प्रचंड
आपको बता दें कि भले कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर सबकुछ सामान्य होने की बात कह रहे हो, लेकिन राजधानी दिल्ली में नए कृषि कानूनों को लेकर सर्दियों में माहौल गर्माया हुआ है. किसानों का आक्रोश प्रचंड है, उनकी एकमात्र यही मांग है कि हर हाल में तीनों कृषि कानूनों को वापस लिया जाए. आंदोलन अब भूख हड़ताल तक आ गया है. सरकार की परेशानी इसलिए भी बढ़ी हुई है क्योंकि अभी हाल ही में सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने भी इसे अपना समर्थन देने का फैसला किया है.
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