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पश्चिम बंगाल के दुर्गापुर स्थित सीएमआरआई परिसर में प्रयोग के लिए स्मार्ट इरीगेशन (सिंचाई) सिस्टम लगाए गए. इस सिस्टम को लगाने के पीछे सरकार का मुख्य कारण किसानों का काम आसान करना है. जिससे पानी और समय दोनों की बचत होगी और उन्हें अपनी ऊर्जा सिंचाई करने में ख़त्म नहीं करनी पड़ेगी. यह तकनीक का मुख्य उद्देश्य पानी से होने वाली बर्बादी को रोकना है और सही तरीके से सिंचाई करना है.
स्मार्ट सिस्टम की खोज
इस स्मार्ट सिस्टम की खोज केंद्रीय यांत्रिकी अभियांत्रिकी अनुसंस्थान परिषद् सुचना एवं तकनीकी विभाग के वैज्ञानिक जैन और उनकी अपनी टीम ने यह खोज की है. उनकी और टीम की इस सिस्टम को बनाने में बहुत मेहनत लगी और यह सफल भी रही है. अब इस तकनीक से और भी लोगों की मदद हो इसलिए इसको पेटेंट के लिए भेजा गया है. इस तकनीक का आप इस्तेमाल खाली जमीन, छत, पहाड़ी अंचल में खेती करने में यह काफी कारगर है.
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स्मार्ट सिस्टम के चलाने की प्रक्रिया
इस तकनीक से बिजली की काफी मात्रा में बचत होगी. क्योंकि यह सिस्टम बिजली और सौर ऊर्जा से चलेगा. सौर ऊर्जा से चलाने के लिए विध्युत ऊर्जा में बदलने वाले उपकरणों को तंत्र के साथ जोड़ना होता है. फिर इस सिस्टम में मुख्य काम सेंसर उपकरणों का होता है. जिस के बाद सब उपकरणों को मिट्टी में लगाया जाता है. इन सबके बाद सबको कंप्यूटर, मोटर पंप और पाइप और सर्किट से जोड़ दिया जाता है. इसका संचालन कंप्यूटर द्वारा होता है.
स्मार्ट सिस्टम कब होगा एक्टिव ?
यह सेंसर तब काम करता है जब मिट्टी में नमी हो जाती है. इस सिस्टम को पानी की जरूरत के हिसाब से सेट करना पड़ता है. जैसे ही मिट्ठी की नमी कम होगी तो सेंसर एक्टिव हो जायेगा. जिससे मोटर पंप चालू हो जाएगा और टंकी द्वारा पानी मिट्टी तक पहुँच जाएगा. मिट्टी को जितने पानी की जरूरत होगी उतना पानी ही उसको मिलने के बाद सेंसर दुबारा एक्टिव हो कर पंप को बंद कर देगा.
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मनीशा शर्मा
कृषि जागरण
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