हाल ही में आयोजित केंद्र सरकार की कैबिनेट मीटिंग (central government cabinet meeting) में एक अहम फैसला लिया गया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर भी इस कैबिनेट बैठक में शामिल हुए. बैठक में यह फैसला लिया गया कि 1540 सहकारी बैंक भी आरबीआई के तहत लाये जाएंगे. अब ये सभी सरकारी बैंक भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve bank of india) की निगरानी में रहेंगे.
दरअसल, आरबीआई के तहत कॉपरेटिव बैंक (कुल 1540) लाने का उद्देश्य ग्राहकों के जमा पैसे की सुरक्षा है. इस फैसले के बाद अब ग्राहकों द्वारा जमा किया गया उनका पैसा आरबीआई की निगरानी में रहेगा. यही वजह है कि इससे यह उम्मीद जताई जा रही है कि उनका पैसा सुरक्षित भी रहेगा. आपको बता दें कि रिपोर्ट्स के मुताबिक इन सभी सहकारी बैंकों में लगभग 8.6 करोड़ ग्राहको के लगभग 4. 84 लाख करोड़ रुपए जमा हैं.
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पीएम मोदी के नेतृत्व में यह बैठक रखी गयी. कोरोनावायरस की वजह से लगे देशव्यापी लॉकडाउन के बाद जिस तरीके से हालात बिगड़े हैं (देश के आर्थिक हालात), उन्हें ध्यान में रखते हुए ही इस तरह का यह बड़ा फैसला लिया गया है.
कुल 1,540 सहकारी बैंक के तहत इनमें 1482 शहरी सहकारी बैंक और 58 बहु-राज्य सहकारी बैंक शामिल हैं. आरबीआई की अथॉरिटी जिस तरह अनुसूचित बैंकों पर लागू होती है, ठीक उसी तरह ही अब इन सहकारी बैंकों पर भी लागू होगी.
बैठक में और भी कई तरह के बड़े फैसले लिए गए जिसमें मुद्रा शिशु लोन (Mudra Shishu Loan Yojana) भी शामिल है. इस पर भी केंद्र सरकार ने ब्याज दर 2 फीसदी घटाने की घोषणा की है.
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