केवीके के स्वर्ण जयंती (GOLDEN JUBILEE CELEBRATION OF KVKs) समारोह का आयोजन पेरुंथलैवर कामराज कृषि विज्ञान केंद्र, पुडुचेरी में आज यानी 21 मार्च 2024 को हो रहा हैं. इस कार्यक्रम का आयोजन कृषि विभाग, पुडुचेरी सरकार और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली के द्वारा किया जा रहा है. इस कार्यक्रम की शुरुआत डॉ. शरत चौहान सहित अन्य गणमान्य व्यक्तियों द्वारा की गई है. केवीके के स्वर्ण जयंती समारोह में डॉ. शरत चौहान आई.ए.एस. (मुख्य सचिव, सरकार, पुडुचेरी) मुख्य अतिथि के रुप में उपस्थित रहे.
इस अवसर पर डॉ. यू. एस. गौतम, डीडीजी (कृषि विस्तार, आईसीएआर),ए. नेदुनचेझियान, आई.ए.एस. (सचिव (कृषि), पुडुचेरी) डॉ. संजय कुमार सिंह (डीडीजी, उद्यान), डॉ. एस. वसंतकुमार (कृषि एवं किसान कल्याण निदेशक, पुडुचेरी सरकार), डॉ. वी.गीतालक्ष्मी (कुलपति, टीएनएयू, कोयंबटूर), डॉ. ए.के. सिंह (कुलपति, आरएलबीसीएयू, झाँसी) इस अवसर पर उपस्थित रहे हैं.
1974 में हुई थी पहले केवीके की स्थापना
भारत में कृषि विज्ञान केंद्र ने अपनी स्थापना के बाद से एक लंबा सफर तय किया है. इस पर बोलते हुए, डॉ. एस. वसंतकुमार ने केवीके की उल्लेखनीय यात्रा पर प्रकाश डाला, जिसकी पहली स्थापना 1974 में आज ही के दिन पुडुचेरी में हुई थी. उन्होंने कहा कि, आज देश भर में 731 केवीके सेंटर है, जो कृषि प्रौद्योगिकियों के लिए महत्वपूर्ण ज्ञान संसाधन केंद्र के रूप में कार्य कर रहे हैं. किसानों को विस्तार सेवाओं के माध्यम से कृषि अर्थव्यवस्था में उल्लेखनीय वृद्धि प्रदान कर रहे हैं.
केवीके जिला स्तर पर मिनी-विश्वविद्यालयों के समान
आईसीएआर के उप महानिदेशक (कृषि विस्तार) डॉ. यू.एस. गौतम ने विकसित भारत यात्रा के दौरान केवीके की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला है. उन्होंने कहा कि, केवीके जिला स्तर पर मिनी-विश्वविद्यालयों के समान हैं, जो प्रयोगशालाओं से सुसज्जित हैं और कौशल केंद्रों के रूप में कार्य करती हैं. उन्होंने कहा कि, केवीके ग्रामीण युवाओं और महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए सुविधा प्रदान करता है, जिससे वे स्टार्टअप, किसान उत्पादक संगठन (FPO) स्थापित कर सकते हैं और किसानों की बढ़ाने में योगदान कर सकते हैं.
अगले 2 साल में 121 केवीके किए जाएंगे स्थापित
उन्होंने आगे बताया कि, अगले दो साल में भारत के अंदर 121 और केवीके स्थापित किए जाएंगे. हमने देश में कृषि विज्ञान केंद्रों के साथ नेटवर्किंग शुरू की है और संदेश के माध्यम से किसानों तक जानकारी प्रसारित करने के लिए आईसीटी का लाभ उठा रहे हैं. उन्होंने कहा कि, भारत सरकार का इरादा घरेलू सदस्यों को व्यक्तिगत संदेश भेजने, उन्हें उपयुक्त फसलों पर सलाह देने और भूमि के आकार के आधार पर उपयुक्त कृषि प्रौद्योगिकियों की सिफारिश करना है. उदाहरण के तौर पर, यदि किसी के पास 1 एकड़ जमीन है, तो उन्हें उनकी आवश्यकताओं के अनुरूप फसल विकल्प और प्रौद्योगिकी विकल्पों का सुझाव देने वाला एक अनुरूप संदेश प्राप्त होगा.
623 जिलों के लिए कृषि आकस्मिक योजनाएं करेंगे तैयार
कृषि विज्ञान केंद्रों में फ्रंटलाइन एक्सटेंशन यूनिट्स की जिम्मेदारियों में प्रौद्योगिकी परीक्षण, अनुकूलन और एकीकरण शामिल है. डॉ यू एस गौतम ने राज्य की नीतियों और राष्ट्रीय पहलों को आकार देने में केवीके की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला है. उन्होंने कहा कि, क्लस्टर फ्रंटलाइन प्रदर्शनों के माध्यम से दलहन क्रांति का नेतृत्व करना, किसानों की आय को दोगुना करने में योगदान देना, 623 जिलों के लिए कृषि आकस्मिक योजनाएं तैयार करना और 26 राज्यों / संघ शासित प्रदेशों में एकीकृत कृषि प्रणाली (IFS) मॉडल को विस्तारित, केवीकेएस की भूमिका में फसल अवशेष प्रबंधन करना शामिल है. इसके अलावा, उन्होंने सतत पशुधन विकास (TASL-D) पहल के लिए प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग की योजनाओं की रूपरेखा तैयार की, जिसे पशुपालन और डेयरी विभाग के सहयोग से केवीके के माध्यम से कार्यान्वित किया जाएगा. TASL-D का उद्देश्य, लाभदायक और टिकाऊ पशुधन उत्पादन के लिए प्रौद्योगिकी हस्तक्षेप; उद्यमशीलता को उत्प्रेरित करने और रोजगार सृजन को बढ़ावा देने के लिए पशुधन प्रौद्योगिकियों का उपयोग करना है.
केवीके के प्रयासों से फसल उत्पादकता में वृद्धि
ए.नेदुनचेझियन ने अपनी टिप्पणी में जोर देकर कहा कि, "कृषि क्षेत्र में कमी के बावजूद, केवीके के प्रयासों के कारण फसल उत्पादकता में वृद्धि देखने को मिली है. केंद्र शासित प्रदेशों के बीच कृषि क्षेत्र में शीर्ष प्रदर्शन करने वाले के रूप में पुडुचेरी की लगातार रैंकिंग केवीके पुडुचेरी के समर्पण को उजागर करती रही है. भारत सरकार जनता के कल्याण के लिए टेक्नोलॉजी के उपयोग पर लगातार जोर देती है, यह एक मिशन है जिसे केवीके पुडुचेरी आईसीटी के माध्यम से आगे बढ़ा रहा है.''
कृषि 2.0 में केवीके की भूमिका महत्वपूर्ण
डॉ. संजय कुमार सिंह ने चुनौती से निपटने में सेवाओं की बढ़ती भूमिका पर प्रकाश डालते हुए किसानों को स्मार्ट कृषि पद्धतियों को अपनाने और सशक्त बनाने के लिए केवीके की आवश्यकता पर प्रकाश डाला है. उन्होंने नेटवर्किंग, आउटरीच और किसान जुड़ाव के लिए उनकी वैश्विक मान्यता को ध्यान में रखते हुए केवीके की अब तक की सफल यात्रा की भी सराहना की है. उन्होंने कहा कि, जलवायु परिवर्तन और खाद्य असुरक्षा की आशंका के साथ, कृषि 2.0 में भारत की प्रगति के लिए केवीके की भूमिका महत्वपूर्ण हो गई है.
कृषि क्षेत्र के सामने कई गंभीर चुनौतियां
डॉ. वी. गीतालक्ष्मी ने अपने संबोधन में कहा है कि, जनसंख्या वृद्धि, घटती भूमि, जल संसाधनों और जलवायु परिवर्तन सहित कृषि के सामने आने वाली गंभीर चुनौतियां है. खाद्य सुरक्षा और सुरक्षा सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने 1990 के दशक में देखी गई स्थितियों की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए सक्रिय उपायों का आग्रह किया है. उन्होंने क्षेत्र प्रदर्शनों के माध्यम से प्रौद्योगिकी और किसानों के बीच अंतर को पाटने में केवीके द्वारा निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका को भी रेखांकित किया है. कृषि समृद्धि को बढ़ावा देने और स्वस्थ युवा पीढ़ी के लिए पौष्टिक भोजन का उत्पादन सुनिश्चित करने के लिए उन्होंने किसानों के साथ संपर्क बढ़ाने का आह्वान किया है.
ग्रामीण क्षेत्रों की चुनौतियों को किया रेखांकित
डॉ. ए.के. सिंह ने 1974 में केवीके की स्थापना के बाद से इनके विकास पर जोर दिया और ज्ञान प्रसार को शामिल करने के लिए कौशल विकास और संसाधन प्रावधान से परे उनकी विस्तारित भूमिका पर प्रकाश डाला है. उन्होंने भारत के ग्रामीण क्षेत्रों के सामने आने वाली चुनौतियों जैसे खेतिहर मजदूरों की कमी और प्राकृतिक संसाधनों पर दबाव को रेखांकित किया है, जिससे केवीके को इन परिवर्तनों के अनुकूल होने की आवश्यकता का संकेत मिला है. इस कार्यक्रम में उन्होंने केवीके का उपयोग करने में भारत सरकार के विभिन्न विभागों की बढ़ती रुचि का उल्लेख किया है. वहीं, उन्होंने केवीके के मूल उद्देश्य को बनाए रखने के लिए कृषि-संबंधित गतिविधियों पर स्पष्टता से ध्यान बनाए रखने के महत्व पर भी जोर देते हुए, अति-विस्तार के प्रति आगाह किया है. डॉ. सिंह ने यह सुनिश्चित करने के महत्व पर जोर दिया कि केवीके द्वारा की गई कोई भी पहल उनके मूल जनादेश के अनुरूप हो.
इसके अलावा, डॉ. सिंह ने जमीनी स्तर पर उद्यमिता और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए केवीके की क्षमता पर चर्चा की. उन्होंने स्टार्टअप्स को बढ़ावा देने और जिला स्तर पर एक अनुकूल कारोबारी माहौल बनाने के अवसर तलाशने का सुझाव दिया, जिससे आर्थिक वृद्धि और विकास को सुविधाजनक बनाया जा सके.
डॉ. यू.एस. गौतम और डॉ. शरत चौहान ने अटारी के निदेशकों को स्वर्ण जयंती मशाल और प्रशस्ति पत्र सौंपा है. इस प्रकार मंच पर मौजूद गणमान्य व्यक्तियों ने प्रकाशन, स्वर्ण जयंती लोगो, स्वर्ण जयंती प्रतीक, अटारी लोगो, स्वर्ण जयंती बैज और विशेष पोस्टल कवर जारी किया है.
केवीके के स्वर्ण जयंती समारोह के मुख्य अतिथि डॉ. शरत चौहान ने पिछले कुछ वर्षों में उल्लेखनीय उपलब्धियों के लिए कृषि हितधारकों, वैज्ञानिकों और कृषक समुदायों को बधाई दी है. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि हमारा विशाल और भौगोलिक रूप से विविधतापूर्ण देश अब आत्मनिर्भर है और यहां तक कि खाद्य उत्पादन में भी अधिशेष का दावा करता है. यह उपलब्धि वास्तव में उल्लेखनीय है, हम सभी की ओर से प्रशंसा और मान्यता के योग्य है.
Message from Dr. Himanshu Pathak, Secretary (DARE) and DG(ICAR)for Curtain Raiser of Golden Jubilee Celebrations of Krishi Vigyan Kendras #ICAR #KVK #50YearsofKVK @PMOIndia @MundaArjun @KailashBaytu @ShobhaBJP @mygovindia @PIB_India @AgriGoI https://t.co/fyGm1j1pN1
— Indian Council of Agricultural Research. (@icarindia) March 21, 2024
डॉ. हिमांशु पाठक, सचिव (डीएआरई) और महानिदेशक (आईसीएआर) ने एक वीडियो संदेश के माध्यम से कहा है कि, "केवीके द्वारा टेक्नोलॉजी के हस्तांतरण ने देश में खाद्यान्न उत्पादन और बागवानी उत्पादन को बढ़ाने में मदद की है. केवीके न केवल प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के लिए बल्कि क्षमता निर्माण, बाजार की जानकारी, जमीनी स्तर पर किसानों का विकास और कौशल के लिए भी वन-स्टॉप सेंटर के रूप में काम करते हैं.
Share your comments