Gita Jayanti 2022: भगवत गीता का हिन्दू धर्म में विशेष महत्व है. यही वजह है कि आपको ज्यादातर घरों में भगवत गीता मिल जाएगी. मान्यता है कि जिस घर में गीता का हर रोज पाठ किया जाता है वहां हमेशा खुशहाली बनी रहती है और नकरात्मकता प्रवेश नहीं करती है.
ऐसे में गीता के महत्व को और उजागर करने के लिए एक दिन भी निर्धारित किया गया है. हर साल मोक्षदा एकादशी के दिन को गीता जयंती के रूप में मनाया जाता है. इस वर्ष मोक्षदा एकादशी का व्रत आज 03 दिसंबर 2022 को है. ऐसे में आज शनिवार को पूरे देश भर में गीता जयंती महोत्सव हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है. आज के दिन गीता पढ़ने का विशेष महत्व है. ऐसे में अगर आपने अब तक गीता के 11 सबसे लोकप्रिय श्लोक नहीं पढ़े हैं तो जल्दी से इस लेख के जरिए पढ़ लें.
भगवत गीता के 11 सबसे लोकप्रिय श्लोक और हिंदी अनुवाद
- नैनं छिद्रन्ति शस्त्राणि नैनं दहति पावक: ।
न चैनं क्लेदयन्त्यापो न शोषयति मारुतः ॥
हिंदी अनुवाद: आत्मा को न शस्त्र काट सकते हैं, न आग उसे जला सकती है. न पानी उसे भिगो सकता है, न हवा उसे सुखा सकती है.
- कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।
मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि॥
हिंदी अनुवाद: कर्म पर ही तुम्हारा अधिकार है, लेकिन कर्म के फलों में कभी नहीं… इसलिए कर्म को फल के लिए मत करो और न ही काम करने में तुम्हारी आसक्ति हो.
- परित्राणाय साधूनाम् विनाशाय च दुष्कृताम्।
धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे।।
हिंदी अनुवाद: श्रीकृष्ण कहते हैं कि हे अर्जुन, ऋषियों और संतों की रक्षा के लिए, दुष्टों के विनाश के लिए और धर्म की स्थापना के लिए, मैं सदियों से धरती पर पैदा होता रहा हूं.
- क्रोधाद्भवति संमोह: संमोहात्स्मृतिविभ्रम:।
स्मृतिभ्रंशाद्बुद्धिनाशो बुद्धिनाशात्प्रणश्यति॥
हिंदी अनुवाद: क्रोध से मनुष्य की मति मारी जाती है यानी मूढ़ हो जाती है जिससे स्मृति भ्रमित हो जाती है. स्मृति-भ्रम हो जाने से मनुष्य की बुद्धि नष्ट हो जाती है और बुद्धि का नाश हो जाने पर मनुष्य खुद का अपना ही नाश कर बैठता है.
- कार्पण्यदोषोपहतस्वभावः
पृच्छामि त्वां धर्म सम्मूढचेताः।
यच्छ्रेयः स्यान्निश्र्चितं ब्रूहि तन्मे
शिष्यस्तेSहं शाधि मां त्वां प्रपन्नम्।।
हिंदी अनुवाद: अर्जुन श्रीकृष्ण से कहते हैं कि मेरी दुर्बलता के कारण मैं अपना धैर्य खो रहा हूं, मैं अपने कर्तव्यों को भूल रहा हूं. अब आप भी मुझे सही बताओ जो मेरे लिए सबसे अच्छा है. अब मैं आपका शिष्य हूं और आपकी शरण में आया हूं. कृपया मुझे उपदेश दें.
- श्रद्धावान्ल्लभते ज्ञानं तत्पर: संयतेन्द्रिय:।
ज्ञानं लब्ध्वा परां शान्तिमचिरेणाधिगच्छति॥
हिंदी अनुवाद: श्रद्धा रखने वाले मनुष्य, अपनी इन्द्रियों पर संयम रखने वाले मनुष्य, साधनपारायण हो अपनी तत्परता से ज्ञान प्राप्त कते हैं, फिर ज्ञान मिल जाने पर जल्द ही परम-शान्ति (भगवत्प्राप्तिरूप परम शान्ति) को प्राप्त होते हैं.
- पत्रं पुष्पं फलं तोयं यो मे भक्त्या प्रयच्छति।
तदहं भक्त्युपहृतमश्नामि प्रयतात्मन:॥
हिंदी अनुवाद: जो कोई भक्त मेरे लिये प्रेम से पत्र (पत्ती), पुष्प, फल, जल आदि अर्पण करता है, उस शुद्ध बुद्धि निष्काम प्रेमी भक्त का प्रेमपूर्वक अर्पण किया हुआ वह पत्र-पुष्पादि मैं सगुण रूप से प्रकट होकर प्रीत सहित खाता हूँ.
- यदा ते मोहकलिलं बुद्धिर्व्यतितरिष्यति।
तदा गन्तासि निर्वेदं श्रोतव्यस्य श्रुतस्य च।।
हिंदी अनुवाद: श्रीकृष्ण कहते हैं कि हे अर्जुन, जब तुम्हारी बुद्धि इस माया के घने जंगल को पार कर जाएगी, तब तुम जो कुछ भी सुना या सुना हो, उससे तुम विरक्त हो जाओगे.
- पिताहमस्य जगतो माता धाता पितामहः।
वेद्यं पवित्रमोङ्कार ऋक्साम यजुरेव च।।
हिंदी अनुवाद: श्रीकृष्ण अर्जुन से कहते हैं कि मैं समस्त जगत् का रचयिता, कर्ता, समस्त कर्मों का कर्ता, माता, पिता या दादा, ओंकार, ज्ञानी और ऋग्वेद, यजुर्वेद और सामवेद हूं.
- न मे पार्थास्ति कर्तव्यं त्रिषु लोकेषु किंचन।
नानवाप्तमवाप्तव्यं वर्त एव च कर्मणि।।
हिंदी अनुवाद: श्री कृष्ण कहते हैं कि हे अर्जुन, तीनों लोकों में मेरी कोई जिम्मेदारी नहीं है, और मेरे लिए कुछ भी असंभव नहीं है, लेकिन फिर भी मैं अपना काम करता हूं.
- यस्मान्नोद्विजते लोको लोकान्नोद्विजते च य: ।
हर्षामर्षभयोद्वेगैर्मुक्तो य: स च मे प्रिय:॥
हिंदी अनुवाद: जिससे किसी को कष्ट नहीं पहुंचता तथा जो अन्य किसी के द्वारा विचलित नहीं होता, जो सुख-दुख में, भय तथा चिन्ता में समभाव रहता है, वह मुझे अत्यन्त प्रिय है.
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