
भारत की धरती पर गौमाता के प्रति जनजागरण और गौ-आधारित जीवनशैली को पुनः स्थापित करने के संकल्प के साथ निकली 'गौ राष्ट्र यात्रा' ने आज गुजरात के राजभवन में एक गौरवपूर्ण पड़ाव दर्ज किया. यात्रा की समर्पित टीम ने गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत से शिष्टाचार भेंट की, जहां उन्हें राज्यपाल का हार्दिक आशीर्वाद और शुभकामनाएं प्राप्त हुईं, जिसने यात्रा के जुनून और उत्साह को कई गुना बढ़ा दिया. ऋषिकेश के हिमालयी क्षेत्रों से लेकर दक्षिण में रामेश्वरम के तटों तक 10,000 किलोमीटर से भी अधिक की दूरी तय कर रही 'गौ राष्ट्र यात्रा' का मूल उद्देश्य देसी गायों के महत्व को जन-जन तक पहुँचाना और गौ-आधारित आत्मनिर्भर अर्थव्यवस्था के अनमोल लाभों के प्रति समाज को जागरूक करना है.
इस महत्वपूर्ण भेंट के दौरान, यात्रा टीम ने राज्यपाल को अपनी अब तक की ऐतिहासिक यात्रा की प्रमुख उपलब्धियों, गाँव-गाँव में चलाए जा रहे व्यापक जन-जागरण अभियानों और देश भर में गूँज रहे सशक्त संदेशों से अवगत कराया. उन्होंने विस्तार से बताया कि कैसे यह यात्रा न केवल गौपालकों और किसानों के वर्षों से खोए हुए स्वाभिमान को वापस ला रही है, बल्कि गोबर, गौमूत्र और पंचगव्य के माध्यम से एक समृद्ध और सशक्त ग्रामीण अर्थव्यवस्था के निर्माण का मार्ग भी प्रशस्त कर रही है, जो सीधे तौर पर देश की आर्थिक प्रगति में योगदान देगा.
राज्यपाल आचार्य देवव्रत, जो स्वयं भी प्राकृतिक कृषि और गौसंवर्धन के एक मुखर समर्थक और प्रेरणास्रोत हैं, 'गौ राष्ट्र यात्रा' टीम के अथक प्रयासों की मुक्त कंठ से सराहना की. उन्होंने इस राष्ट्रव्यापी पहल को 'राष्ट्रहितकारी प्रयास' बताते हुए, गौसंवर्धन और पंचगव्य आधारित अर्थव्यवस्था के प्रति टीम के अडिग समर्पण की प्रशंसा की. राज्यपाल महोदय ने कहा कि ऐसे अभियान ही भारत को उसकी समृद्ध सांस्कृतिक और कृषि जड़ों से जोड़ते हुए वास्तविक समृद्धि की ओर ले जाएंगे. उनके आशीर्वाद ने टीम के सदस्यों में नई ऊर्जा भर दी, जिससे उन्हें अपने लक्ष्य की ओर और अधिक दृढ़ता से बढ़ने की प्रेरणा मिली.
इस ऐतिहासिक अवसर पर, 'गौ राष्ट्र यात्रा' के मुख्य आयोजक और जीव-जंतु कल्याण एवं कृषि शोध संस्थान (AWARI) के अध्यक्ष भारत सिंह राजपुरोहित, राष्ट्रीय गौ सेवक संघ के संस्थापक एवं मुख्य आयोजक गौ राष्ट्र यात्रा नरेंद्र कुमार मिश्रा सहित हर्षद भाई गुगलिया, संजीत कुमार, मनीष पटेल, नरेश पुरोहित, मोहित कशवा, सुदर्शन गुर्जर, कमलेश माली और निखिल माली जैसे यात्रा के अन्य प्रमुख सदस्य भी उपस्थित रहे.

राजभवन में मिली यह स्वीकृति और सम्मान 'गौ राष्ट्र यात्रा' के लिए एक मील का पत्थर साबित हुई है, जो गौमाता के प्रति राष्ट्रव्यापी चेतना जगाने और भारत को गौ-आधारित समृद्धि की ओर ले जाने के उनके संकल्प को और भी अधिक मजबूती प्रदान करती है.
'गौ राष्ट्र यात्रा' के बारे में
'गौ राष्ट्र यात्रा' भारत में देसी गायों के महत्व को पुनः स्थापित करने, गौ-आधारित कृषि और अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने तथा गौपालकों व किसानों के स्वाभिमान को जगाने के लिए ऋषिकेश से रामेश्वरम तक की एक राष्ट्रव्यापी पदयात्रा है. यह भारतीय संस्कृति और कृषि परंपराओं के पुनरुत्थान का एक सशक्त माध्यम है.
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