भारत को प्राचीन काल से ही नदियों का देश कहा जाता है . इसका कारण यह है कि भारत की बहुसंख्यक आबादी नदियों के पानी पर ही निर्भर करती है . देश में होने वाली खेती से लेकर पीने के पानी तक हम नदियों पर निर्भर हैं . लेकिन सोशल मीडिया पर गंगा नदी को लेकर वायरल हो रहे एक मैसेज ने सभी को चौंका दिया. दरअसल, मैसेज में कहा जा रहा है कि भारत सरकार गंगा नदी के पानी के प्रयोग पर 18प्रतिशत GST लगा रही है.
इस जानकारी के बाद बहुत से लोगों ने भारत सरकार पर निशाना भी साधा और इस नियम को वापस लेने की बातें भी कहीं . लेकिन जब मीडिया ने इसकी तह तक जानकारी को हासिल किया तो मामला पूरी तरह से उल्टा ही निकला. दरअसल भारत सरकार ने ऐसा किसी भी तरह को कोई नियम ही नहीं बनाया जिसमें इस तरह के टैक्स को लगाया जा सके.
क्या है सच्चाई
इस वायरल मैसेज के बाद मीडिया ने इसकी जानकारी के लिए इससे जुड़े लोगों से बातचीत करना और जानकारी को इकठ्ठा करना शुरू कर दिया . इसकी पुष्टि के लिए उन्होंने केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड से भी जानकारी हासिल की . लेकिन जब सभी ने इसे सिरे से नकार दिया तो इस मैसेज के तह तक जाने की कोशिश की . जिसके बाद यह पता लगा की वायरल हो रहे मैसेज में दी गई जानकारी पूरी तरह से गलत हैं .
केंद्रीय अप्रत्यक्ष और सीमा शुल्क बोर्ड ने की पुष्टि
केंद्रीय अप्रत्यक्ष और सीमा शुल्क बोर्ड ने की पुष्टि करते हुए बताया कि गंगा के जल का प्रयोग भारत के सभी घरों में पूजा के लिए प्रयोग में लाया जाता है, लेकिन सरकार ने पूजा या इससे संबंधित चीजों को अभी GST से बाहर रखा हुआ है . सरकार इस निर्णय को जब भी लागू करेगी या ऐसी कोई भी मनसा बनाती है तो प्रेस वार्ता में उसकी जानकारी को उपलब्ध कराया जाएगा . सरकार ने जीएसटी लागू करने से पूर्व इससे संबंधित कई बैठकों को किया था . जिसमें पूजा सामग्री को GST से बाहर रखने की बात कही गई थी.
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वर्ष 2017 में जीएसटी से संबंधित बैठकों में पूजा सामग्री या उससे संबंधित सामग्री को GST की 15वीं बैठक में बाहर कर दिया गया था .
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